ईद के खर्च में करें कटौती, गरीब बीमार के इलाज में करें खर्च। उलेमा-ए-किराम की अपील।
1 min readईद के खर्च में करें कटौती, गरीब बीमार के इलाज में करें खर्च।
उलेमा-ए-किराम की अपील।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
कोरोना वॉयरस की दूसरी लहर ने लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है।तमाम मरीज ऑक्सीजन सिलेंडर, दवा व उचित चिकित्सा सुविधा के अभाव में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। कोरोना मरीजों का हाल गंभीर है। कोरोना संक्रमण से मृत लोगों को कोई कंधा देने को तैयार नहीं। बड़े शहरों से पलायन शुरु हो गया है। नौकरियां जा रही हैं। ऐसे माहौल में समाज के गरीब लोगों को एक दूसरे के साथ व मदद की जरूरत है।
जरूरतमंद व मरीजों की मदद के मद्देनज़र शहर के उलेमा-ए-किराम ने अपील की है। उलेमा-ए-किराम ने कहा कि रमज़ान का मुक़द्दस महीना चल रहा है। पिछले बार की तरह इस बार भी
लोग ईद पर खर्च की जाने वाली रक़म से दूसरों की मदद करें। ईद के खर्च में कटौती कर जरूरतमंदों एवं गरीबाें के लिए भोजन व दवाआें की व्यवस्था करें। मरीजों को ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध करवाया जाए। जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध करवाया जाए। जल्द ही मस्जिदों से भी अपील जारी की जाएगी कि उन लोगों की मदद करें जो कोरोना महामारी के चलते बेरोजगार हो गए हैं और उन्हें किसी की मदद और सहारा नहीं मिल रहा है।
मुफ्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) व मुफ्ती मो.अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने मुल्क भर के साहिबे निसाब मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि हमारे देश मे दूसरी कोरोना लहर चल रही है। मुल्क के कई हिस्सों में इसका कहर जारी है। कई सूबों में सम्पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है। देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है। लोग इस बीमारी से मौत के मुँह में समा रहे हैं। बेशुमार लोग अस्पतालों में ज़िंदगी की जंग लड़ रहे हैं। लोगो पर दोहरी मार पड़ रही है। जो बीमार हैं उनको इलाज नहीं मिल पा रहा है। वहीं करोड़ो लोगो पर कर्फ्यू की वजह से रोजगार की मार पड़ रही है। रमज़ान में अल्लाह हर नेकी के बदले 70 गुना सवाब बढ़ा देता है इसलिए साहिबे निसाब मुसलमान अपने ज़कात, सदका व फित्रा की रक़म से ऐसे हकदार लोगों की मदद करें जो बीमार हैं। जिनको दवा की सख्त जरूरत है। जिनके पास खाने पीने का इंतज़ाम न हो उनके लिए राशन का इंतज़ाम कर दें। ईद के खर्च में कटौती कर हर जरूरतमंद की मदद करें। कोरोना वॉयरस से निज़ात की दुआ मांगी जाए।
मौलाना अब्दुल खालिक निज़ामी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते तमाम गरीब लोग खासी दिक्कत में हैं। वह भोजन और दवाओं के लिए परेशान हैं। लोग इस ईद अपने आसपास रहने वाले गरीब मुस्लिमों के साथ ही हिन्दू समेत सभी वर्गों की दिल खोलकर मदद करें। उन्हें भोजन दें और कपड़े के साथ ही दवाओं की व्यवस्था भी करें। सहायता देते समय मजहब आड़े नहीं आना चाहिए। सदका हर मुसीबत व परेशानी को टाल देता है। मुसलमान सदका व खैरात कर जरूरतमंदों की दिल खोलकर मदद करें। ईद के खर्च में कटौती करें। जान है तो जहान है। मुश्किलों के इस दौर में सभी को एक साथ मिलकर खड़ा होना होगा।
मुफ्ती खुश मोहम्मद मिस्बाही ने कहा कि हमारा दीन हर जरूरतमंद की मदद करने का हुक्म देता है। चाहे वह किसी भी मजहब का क्यों ना हो। उन्होंने मुस्लिम समाज से आह्वान किया कि वह अपने मुस्लिम भाईयों की ही नहीं बल्कि उनके पड़ोस में रहने वाले अन्य गरीब व असहाय लोगों की भी मदद करें। कोरोना अल्लाह का अज़ाब है लिहाजा खूब सदका व खैरात करें। इस ईद खर्च में कटौती कर एक दूसरे के मददगार बनें। मदरसे वालों की भी चंदे से खूब मदद की जाए।
कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि कोरोना वॉयरस अल्लाह का अज़ाब है। इससे खुद की व परिवार की सुरक्षा के लिए सदका व खैरात करें। जरूरतमंदों व बीमारों की मदद करें। जो लोग माह-ए-रमज़ान में दूसरों की मदद के लिए आगे आते हैं, वह इस बार मुसलमानों के साथ-साथ उन लोगों की भी मदद करें जो कोरोना माहमारी के चलते बेरोजगार हो गए हैं। जिनको किसी की मदद और सहारा नहीं मिल रहा है। यह वक्त भले ही मुसीबतों का हो, लेकिन अगर इस समय हमने आपसी सौहार्द बनाए रखा तो यकीनन हम भाईचारे को बढ़ा रहे हैं। इसलिए मदद करने में दूसरें संप्रदाय के लोगों को ना छोड़ें। कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। मदरसे वाले आपके घर चंदा मांगने आएं तो उनके साथ अच्छा बर्ताव किया जाए। दिल खोलकर चंदा दिया जाए ताकि मदरसों के सालभर का निज़ाम आसानी से चल सके।
कपड़ा व्यवसायी सोहेल अहमद ने कहा कि ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है और लाेग कपड़े और खाने-पीने पर काफी पैसे खर्च करते हैं। शहर में ईद पर सिर्फ कपड़े का तकरीबन 25 से 30 करोड़ का कारोबार होता है। ईद पर खर्च की जाने वाली रक़म में कटौती कर लोग जरुरतमंदों की मदद करेंगे तो देश बहुत जल्द मुश्किलों से बाहर निकल जाएगा।
कपड़ा व्यवसायी इमाम अली ने कहा कि महानगर में करीब तीन लाख मुस्लिम आबादी है। ईद में तकरीबन सभी कपड़ा सिलवाकर ही पहनते हैं। रेडीमेड के कपड़ों की बिक्री भी जमकर होती है। मौजूदा हालत के मद्देनज़र ईद के खर्चे में कटौती कर जरूरतमंदों व बीमारों की मदद की जाए तो हालात में काफी सुधार हो सकता है। सदका व खैरात ज्यादा से ज्यादा करें। अगर हर मुसलमान ईद के खर्च में कटौती करेगा तो निश्चित तौर पर जरूरतमंदों व बीमारों की अच्छी मदद हो सकेगी।