सोमवती अमावस्या और सावित्री वट व्रत करने से मिलता है पति की दीर्घायु का वरदान–
1 min readसोमवती अमावस्या और सावित्री वट व्रत करने से मिलता है पति की दीर्घायु का वरदान– नयागांव थाना क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में सोमवती अमावस्या और सावित्री वट व्रत को लेकर पीपल के वृक्ष में पूजा अर्चना करने के लिए महिलाओं की भीड़ लगी रही।सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है ये साल में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा व अमावस्या का महत्व बेहद विशेष माना गया है। हर माह के कृष्ण पक्ष की आखिरी तारीख को अमावस्या आती है।ज्येष्ठ माह की अमावस्या सोमवार को पड़ने से इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जा रहा है।सबसे अहम बात यह है कि वर्ष 2022 में केवल एक ही सोमवती अमावस्या पड़ रही है तथा दो सावित्री वट व्रत पड़ रहा है जो दूसरा सावित्री वट व्रत संभवतः14 जून मंगलवार को पड़ेगा। इस दिन दान का महत्व भी अत्याधिक होता है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से व्यक्ति के घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है।सोमवती अमावस्या व सावित्री वट व्रत के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन दान करने से घर में सुख-शांति व खुशहाली आती है। अमावस्या का दिन, हिंदू परंपरा में बहुत महत्व रखता है। अमावस्या का दिन सबसे शुभ माना जाता है।सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के रूप में जाना जाता है और इसका एक विशेष महत्व है। माना जाता है कि अगर इस अमावस्या पर कोई उपवास करता है तो सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष।इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और कुछ अन्य परम्पराओं में भँवरी देने का भी विधान होता है। धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ को चढाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है।