स्वास्थ्य के प्रति बदल गई लोगों की सोच – जनता कर्फ्यू के एक वर्ष पूरा होने पर लोगों ने कहा बदल गया पूरा जीवन
1 min readस्वास्थ्य के प्रति बदल गई लोगों की सोच
– जनता कर्फ्यू के एक वर्ष पूरा होने पर लोगों ने कहा बदल गया पूरा जीवन
शिवहर, 22 मार्च| जनता कर्फ्यू को एक साल पूरा हो गया है। जनता कर्फ्यू का वह दिन लोगों ने लिए किसी नए अनुभव से कम नहीं था। जनता कर्फ्यू लंबे लॉकडाउन की शुरुआत थी। इस एक साल में काफी कुछ बदल गया है। लोगों की जिन्दगियां बदल गई हैं। स्वास्थ्य के प्रति लोगों की सोच बदल गई। एक बार फिर से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए लोग सावधान और सतर्क हैं। साथ ही एक साल पहले का वह दिन भी याद कर रहे हैं कि लॉकडाउन स्वास्थ्य के नजरिए से कितना अहम था। इस पर जिले के लोगों ने अपनी राय रखी।
योग और व्यायाम बना जीवन का अंग
माधोपुर छाता गांव में किराना दुकान चलाने वाले संजीव सिंह कहते हैं कोरोना वायरस ने लोगों की जिदगी बदल कर रख दी है। खान-पान से लेकर रहन-सहन तक। शिवहर के आलोक सिंह कहते हैं दौड़-धूप और व्यस्तता के चलते हम लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह से हो चले थे। लेकिन जैसे ही कोरोना बीमारी आया, तब हमें समझ में आया कि हमारा स्वस्थ रहना कितना महत्वपूर्ण है। कोरोना ने योग और व्यायाम की अहमियत बता दी, साथ ही मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) के लिए अच्छा खान-पान कितना जरूरी है।
मील का पत्थर साबित हुआ जनता कर्फ्यू
सिविल सर्जन डॉ आरपी सिंह बताते हैं जनता कर्फ्यू का कोरोना की रोकथाम में बेहतर असर रहा। जिले में अप्रैल में कोरोना का असर दिखा। बहुत लोग संक्रमित नहीं हुए और गंभीर रूप से संक्रमितों को बचाया भी जा सका। बीमारों में सुधार की दर बेहतर रही। डॉ. सिंह ने कहा कि लोगों में जागरूकता के बेहतर परिणाम आए। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने में सफल रहा। लोगों को जागरूक भी किया गया।
मास्क हो गया है जरूरी
शिवहर की रहने वाली गृहणी मनीषा सिंह ने बताया जनता कर्फ्यू ने जीवनशैली को बदल दिया। हम और हमारा पूरा परिवार घर में और बाहर मास्क का प्रयोग करते हैं। एक दूसरे से मिलने के समय शारीरिक दूरी नियम का ध्यान भी रखते हैं । यूं कहे तो पूरी जीवन शैली, काम करने की शैली बदल गई है। स्वच्छता जीवन का एक अंग हो गया है।
तजुर्बा हो तो बाहर जाने की जरूरत नहीं
शिवहर के रहने वाले मनीष कुमार कहते हैं वह दिल्ली में सुपरवाइजर का काम कर रहे थे। अच्छी कमाई हो रही थी। इसी बीच लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया। आमदनी बंद हो जाने से पैसों की किल्लत होने लगी। आय बंद होने से घर-परिवार को पैसा नहीं भेज पा रहे थे। साथ ही काम बंद होने के बाद वहां रहने में भी परेशानी हो रही थी। बड़ी मुश्किल से घर वापस आया। इसके बाद अपने गृह जिला में ही व्यवसाय शुरू किए हैं। मनीष ने बताया लॉक डाउन से यही सीख मिली कि अगर तजुर्बा हो तो काम के लिए बाहर दूसरे प्रदेश जाने की जरूरत नहीं।