लोक कला पर छात्र-छात्राओं के साथ स्थानीय कलाकारों ने बांधा समां
1 min readलोक कला पर छात्र-छात्राओं के साथ स्थानीय कलाकारों ने बांधा समां
बाजार के जवाहर चौक स्थित भी सेलिब्रेशन सभा भवन में कार्यक्रम देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक, क्षेत्रीय लोक कलाओं पर स्थानीय कलाकारों ने दी आधारित एक से बढ़कर एक प्रस्तुति
महुआ। रेणु सिंह
लोक कला पर आधारित एक से बढ़कर एक गीत, संगीत और नृत्य की प्रस्तुति जब स्थानीय कलाकारों द्वारा दी गई तो दर्शक तालियां बजाने को मजबूर हुए। यह कार्यक्रम रविवार को यहां जवाहर चौक स्थित एक सभा भवन में लोक कला जागृति मंच की ओर से आयोजित की गई। जिसमें विभिन्न स्कूलों के बच्चों के अलावा क्षेत्रीय कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनके कलाकारी और प्रतिभा पर लोग मंत्रमुग्ध होते रहे।
कार्यक्रम का उद्घाटन आरके डेयरी के संचालक रंधीर कुमार, जादूगर प्रो विनोद पटेल आदि ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। इस लोक संगीत कार्यक्रम की शुरुआत शिक्षक मनमोहन कुमार के पराती से हुई। इसी के साथ कृषि गीत पर छात्र-छात्राओं ने जब नृत्य पेश किया तो दर्शक झूम उठे और तालियां बजाने को मजबूर हुए। साथ ही बज्जिका लोकगीत पर छात्राओं द्वारा नृत्य ने सबको मन मोहा। बिहार संस्कृत पर आधारित जब स्कूली बच्चों ने प्रस्तुति दी तो महफिल में उपस्थित हर लोग भावविह्वल हो गए। इसी बीच आंखों से दिव्यांग जादूगर प्रो विनोद पटेल के द्वारा अपनी जादुई कला से सबको आश्चर्य चकित कर दिया गया। उनकी जादुई कला देख सभी चकित हुए और दांतों तले उंगली दबाने को मजबूत हो गए। वही अपनी मिट्टी की सोंधी खुशबू सामा चकेवा लोक नृत्य पर तो छात्राओं ने वाहवाही लूटी। झूमर गीत पर अशोक दास तो सोहर पर प्रीतम झा ने सबको झुमाया। डोमकच्छ की प्रस्तुति ज्ञान ज्योति गुरुकुलम द्वारा जब दी गई तो दर्शक दीर्घा मी तालियां गूंजती रही। बज्जिका गीत, ठुमरी, होली गीत, बारहमासा के साथ झिंझिया और जटजटिन, महापर्व छठ गीत पर छात्राओं का नृत्य देख सभी झूम उठे और उनकी हर पल को अपने-अपने मोबाइल में कैद करने लगे। कार्यक्रम के मौके पर सभापति नवीन चंद्र भारती, उपसभापति रोमी यादव, मुखियापति गनौर सिंह, प्रो वेद प्रकाश पटेल, प्रभात कुमार, उमाशंकर प्रसाद, अमर कुशवाहा आदि ने उपस्थित होकर कलाकारों की हौसला अफजाई की। यहां सभी कलाकारो को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अजय और अभय कुमार सिंह ने किया। बताया गया कि विलुप्त हो रही अपनी लोक कला को जीवंत करने के लिए यह कार्यक्रम किया गया।