August 30, 2022

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तीज और चौथ चंदा एक साथ होने को लेकर नगर गांव हर जगह भक्ति में रहे लोग

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तीज और चौथ चंदा एक साथ होने को लेकर नगर गांव हर जगह भक्ति में रहे लोग
महुआ, नवनीत कुमार
तीज और चौथचंदा मंगलवार को एक साथ होने पर नगर और गांव में भक्ति प्रवाण पर रही। तीज पर सुहागिनों ने दुल्हन की तरह से सज सबरकर पंडितों से भगवान शंकर और माता पार्वती की कथा सुनी। वहीं चौथचंदा पर शाम में चांद निकलने पर उन्हें दही फल आदि प्रसाद से अर्ध देकर पूजन किया गया।
पंडितों ने बताया कि दिन में अपराहन 2:30 बजे तक की तृतीया तिथि होने कारण तीज व्रत का शुभ मुहूर्त रहा। वहीं शाम में चतुर्थी होने के कारण चांद निकलने पर चौथचंदा व्रत किया गया। बताया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले हरतालिका तीज का काफी महत्व है। इसे सुहागिनों द्वारा विधि विधान के साथ किए जाने पर मनचाहा फल की प्राप्ति होती है। यह अखंड सौभाग्यवती होने के लिए महिलाएं व्रत करती है। इस पर्व पर सुहागिने दुल्हन की तरह सजती सबरती है और पंडितों से भगवान शंकर व माता पार्वती की कथा सुनतीे हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शंकर और माता पार्वती का प्रेम अगाध है। सुहागिनी पर्व पर शंकर और पार्वती से उनके अपने जैसे प्रेम की मांग करती हैं ताकि वह जन्म जन्मांतर तक बना रहे। घर में सुख समृद्धि आने साथ सदा सुहागन रहने और घर भरा पूरा रहे इसके लिए यह पर्व किया जाता है।
इसे हरतालिका तीज कहा गया है। भादो में चारों ओर हरियाली रहती है। इसीलिए हरित पर हरियाली कि हम पूजा करते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में हरियाली का महत्व खेतों में फसलें भरा पूरा माना जाता है। पर्व पर सारी मौसमी फल, अन्न की बाली चढ़ाए गए। इसे कजरी तीज भी कहा गया है। सावन और भादो ग्रामीण परिवेश के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है। कजरी कर्म प्रधानता का रूप माना गया है। इस समय ग्रामीण लोग खेती में बढ़-चढ़कर लग जाते हैं।
क्यों सुहाग ने करती हैं तीज:
पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती भगवान शंकर की अर्धांगिनी थी। सती ने पिता दक्ष के द्वारा भगवान शंकर की उपेक्षा किए जाने कारण अपने प्राणों की आहुति दी थी और पुनः पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेकर पार्वती बनी। यह पर्व पति पत्नी को जन्म जन्मांतर तक एक बने रहने को बताया गया है। ग्रंथ में बताया गया है कि नारद के कहने पर हिमालय पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करना चाह रहे थे। पार्वती की इच्छा को देखते हुए उनकी सखियां उनका हरण कर जंगल के गुफा में ले गई। जहां पर पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना आज ही के दिन की और कठोर तपस्या से भगवान शंकर विचलित होकर उन्हें अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। भगवान शंकर पत्नी को पुरुष के समानांतर माना है। इसलिए कई जगह पर आधी शंकर और आधा पर्वती को भी दिखाया जाता है। महिलाएं अपने जीवन साथी के साथ सुखी जीवन बिताने और उन्हें दीर्घायु होने की मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए यह पर्व करती हैं। इधर पर्व पर शिव पार्वती की अमर प्रेम की कथा सुनने के लिए पंडितों की कमी देखी गई। मिर्जानगर, सिंघाड़ा, बरियारपुर बुजुर्ग, रसूलपुर आदि स्थानों पर सामूहिक तीज व्रत का अनुष्ठान सुहागिनों ने रखा।

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चमकी से मासूम की मौत पर पीड़ित के घर पहुंची मेडिकल टीम महुआ। रेणु सिंह चमकी बुखार से एक मासूम की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई और मेडिकल टीम शुक्रवार को पीड़ित के घर पहुंच कर स्थिति का जायाजा लिया। टीम द्वारा पीड़ित परिजन से बच्चे के बारे में विभिन्न जानकारियां हासिल कर उसे विभाग को भेजा। घटना महुआ नगर परिषद के वार्ड संख्या 06 छतवारा चकशेख निजाम की है। उक्त गांव निवासी योगेन्द्र राम की पोती और मनीष राम की पुत्री डेढ़ वर्षीया लक्ष्मी कुमारी को बीते 25 अप्रैल को चमकी की लक्षण आई थी। इस बीच घर के लोग उसे इलाज के लिए महुआ के एक निजी बच्चा अस्पताल में ले गए जहां से उसकी स्थिति नाजुक देखते हुए हाजीपुर सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया था। बच्ची को परिजन उसी दिन सदर अस्पताल ले गए। जहां से शाम में उसे चमकी के लक्षण को देखते हुए सदर अस्पताल द्वारा नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पटना रेफर किया गया था। बताया जा रहा है कि अस्पताल में 12 घंटे इलाज के बाद 26 अप्रैल की भोर में बच्ची ने दम तोड़ दिया। इधर नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा बच्ची की मौत चमकी से होना बताए जाने के एक सप्ताह बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली और मेडिकल टीम में शामिल महुआ पीएचसी के डॉ अमर कुमार, स्वास्थ्य प्रबंधक प्रकाश कुमार, बीसीएम आफताब आलम के साथ महुआ नप के सभापति नवीन चंद्र भारती, वसीम आलम, आशा कर्मी शर्मिला आदि पीड़ित के घर पहुंचकर परिजनों से विभिन्न जानकारियां हासिल की। चमकी से मौत का महुआ क्षेत्र में यह पहला केस माना जा रहा है। मनीष की पहली बच्ची थी लक्ष्मी: मृतिका डेढ वर्षीया लक्ष्मी कुमारी अपने पिता मनीष राम की पहली संतान थी। मनीष राम फेरी में ब्रेड, चाकलेट आदि बेचकर घर परिवार चलाते हैं। वही दादा योगेंद्र राम मजदूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि बच्ची को बुखार के साथ चमकी के लक्षण आई थी। जिसे वह हल्के में लिए और इलाज के लिए महुआ के एक बच्चा अस्पताल में ले गए। जहां से उसे स्थिति गंभीर बताते हुए रेफर कर दिया गया था। यह भी बताया जा रहा है कि बच्ची को विभिन्न टीका के साथ जेई का टीका भी बीते 22 मार्च कोई लगाया गया था। टीम ने माना बच्ची कुपोषित और कमजोर थी: मेडिकल टीम द्वारा बताया गया कि बच्ची कुपोषित और कमजोर थी। जिसे अनुमंडल अस्पताल में चल रहे एनआरसी में रखा गया था। उन्होंने यह भी बताया कि बच्ची की मौत का कारण एनएमसीएच द्वारा चमकी के लक्षण बताए गए हैं। इधर चमकी से बच्ची की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन सजग होते हुए उक्त बस्ती में ओआरएस का वितरण कराकर बीमारी के लक्षण और बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया।

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