124 वीं पुण्यस्मृति पर श्रद्धापूर्वक याद की गई ,देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले । महुआ (वैशाली) प्रखंड क्षेत्र के मिर्जानगर माली टोला में ज्योति राव फुले परिषद, वैशाली के तत्वधान में 19वीं सदी के महान समाज सुधारक ज्योति राव फुले की धर्मपत्नी माता सावित्रीबाई फुले की 124 वी पुण्यस्मृति के अवसर पर उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित किए गए । समारोह की अध्यक्षता संगठन के जिला महामंत्री चुलहाई प्रसाद भक्त तथा संचालन शिक्षाविद शंकर मालाकार ने की । सर्वप्रथम सावित्रीबाई फुले की तैल चित्र पर उपस्थित जनों ने पुष्पांजलि कर श्रद्धा सुमन अर्पित की ।समारोह को संबोधित करते हुए संगठन के प्रदेश कोषाध्यक्ष प्रो0 सुधीर मालाकार ने कहा कि जिस समय भारतीय महिलाओ को शिक्षा की बात तो दूर,घर से बाहर निकलने की भी पाबंदी थी , वैसे वक्त में ज्योतिबा फुले ने अपनी अनपढ़ धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को पढ़ा कर 1848 में प्रथम बालिका पाठशाला की स्थापना की । जिसे तथाकथित रूढ़िवादी लोगों ने जबरदस्त विरोध किया ।विद्यालय आने जाने के वक्त में उनके ऊपर कीचड़ ,गोवर, यहां तक कि मल मूत्र भी फेंके जाते थे, फिर भी साहसी महिला सावित्री ने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ती रही।भारत में महिलाओं की शिक्षा की अलख जगाने वाली सावित्रीबाई फुले को भारतरत्न की उपाधि से सम्मानित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, ऐसा उपस्थित लोगों ने मांग की। इस मौके पर मलाकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रकाश मालाकार ने सभी संगठनों को अपने तमाम मतभेदों को भूल कर एकजुट होने की अपील की। समारोह को संबोधित करने वालों में बिंदेश्वर राय ,डॉ नरेश राय, नागेंद्र ठाकुर, विकास कुमार, धीरज कुमार, नितेश कुमार ,देवेंद्र भगत ,सुरेंद्र भगत ,अरविंद भगत, महेश कुमार ,रामबाबू भगत, शंकर मालाकार ,बिंदेश्वर भगत, संजय चौधरी ,पारस नाथ सिंह,डाक्टर संजय कुमार,नसीम रब्बानी, शिक्षाविद दिलीप कुमार सहित दर्जनों लोग शामिल थे।