होली के दिन विद्यालय खोले जाने से शिक्षकों में आक्रोश
1 min readहोली के दिन विद्यालय खोले जाने से शिक्षकों में आक्रोश ।
रिपोर्ट सुधीर मालाकार ।
वैशाली !हाजीपुर ,बिहार सरकार के अपर शिक्षा सचिव के के पाठक के तुगलकी फरमान से शिक्षा जगत में बड़ा ही आक्रोश है। वही राजनीतिक ,सामाजिक से लेकर आम जनता भी होली के दिन विद्यालय खोले जाने से काफी गुस्से में दिखाई दे रहे हैं। बताते चले कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार है ,जब सनातन धर्मियों के महान पर्व होली के दिन विद्यालय को खोलकर शिक्षकों को अपने ड्यूटी पर तैनात रहने का आदेश दिया गया है। इतना ही नहीं एक सप्ताह के प्रशिक्षण के नाम पर 20000 शिक्षकों को जिला बदर किया गया है। एक तरफ मुसलमान का रमजान का महीना चल रहा है तो दूसरे तरफ सनातन हिंदुओं के प्रेम भाईचारे का त्योहार होली में अपने घर परिवार समाज से दूर रहकर प्रशिक्षण प्राप्त करना ,कहां तक उचित है। यह बात लोगों को समझ से पड़े हैं ।अक्सर देखा जाता है की होली के दिन कई जगह मारपीट की नौबत भी आ जाती है ,लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार भी किए जाते हैं फिर भी शिक्षक सब सहते हुए भी अपने ड्यूटी पर तैनात रहेंगे ,यह कहीं से भी न्याय उचित नहीं है ।सत्ताधारी भाजपा, जदयू के साथ-साथ विपक्ष के राजद के नेताओं ने भी करी निंदा की है और केके पाठक के एक्शन को गैर जिम्मेवार पदाधिकारी घोषित किया है। शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के यह तरीका बिल्कुल ही गलत है ।आम लोग से लेकर खास लोगों में इसकी आलोचना हो रही है ।शिक्षक संगठन के नेताओं ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि जब वह विपक्ष में थे तो बे कहां करते थे की राजद सनातन धर्म को मिटा देना चाहती है लेकिन आज सत्ता में चुप्पी साधे हुए हैं ।लगता है जीभ कटकर गिर गई हो । सत्ता से लेकर विपक्ष तक के के पाठक के सनकी फरमान की घोर निंदा सर्वत्र हो रही है।