हरलोचनपुर सुक्की की घटना से दहल गया है वैशाली जिला
1 min readहरलोचनपुर सुक्की की घटना से दहल गया है वैशाली जिला
3 साल पूर्व महुआ के फूलार में हुई थी घटना, शव को बगैर पोस्टमार्टम के ही गांव में जला दिया गया था, जहर खाने का नहीं हो सका अभी तक कोई खुलासा
महुआ, नवनीत कुमार
महुआ अनुमंडल के पातेपुर प्रखंड अंतर्गत सुक्की गांव में मां और 5 बच्चों कि जहर खाकर मौत कोई पहली घटना नहीं है। तीन साल पूर्व महुआ थाने के फूलार में भी पति पत्नी और पतोहू की मौत जहर थाने से हो गई थी। घटना के बाद पुलिस पहुंची लेकिन शव को सुक्की की तरह ही बगैर पोस्टमार्टम कराए गांव में जलवा दिया गया था।
शुक्रवार को जैसे ही पातेपुर थाने के सुक्की गांव में 4 बच्चों सहित मां की हुई जहर खाकर मौत से महुआ के फूलार की घटना की याद ताजा कर दिया। यहां गांव में प्रभु राय, उनकी पत्नी और पतोहू की मौत जहर खाने से हुई थी। हालांकि यह जानकारी लोगों को सुबह में तब मिली थी जब घर के तीनों व्यक्ति सोए थे और जगाने के बाद में मृत पाए गए थे। यह परिवार काफी गरीब था एक पुत्र घर में इसलिए जीवित बच गए थे कि वह बाहर रहकर मजदूरी करता था। यहां घटना को लेकर काफी चर्चा का बाजार गर्म हुआ था। पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर विभिन्न दलों के नेताओं का आना जाना और घटना पर मातमपुर्सी करने का सिलसिला चला था। समय बीतता गया और यहां सारे मामले ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। पहले तो चर्चा यह हुई थी कि खाने में जहर होने के कारण तीनों व्यक्ति की मौत हो गई। कोई दूध में छिपकली गिरने और उसे उबालकर पीने के कारण घटना होना बता रहा था तो कोई खाने में जहर होने के बाद कर रहा था। यहां घटना की खबर सुनकर महुआ थाने से पुलिस पहुंची थी। लेकिन शव को पोस्टमार्टम नहीं कराई। उधर गांव के लोग तीनों शवों को गांव में ही एक बगीचे में जला दिया गया था। मृतक परिवार काफी गरीब था। भैंस पालकर उसकी दूध बिक्री से घर परिवार चलाता था। आर्थिक तंगी के कारण एक साथ जहर खाकर मौत को गले लगाने की बात उठी थी। लंबे समय तक पुलिस द्वारा इस घटना का उद्भेदन नहीं किया गया और उधर सुक्की में इसी तरह की घटना हो गई।
आखिर जहर से सामूहिक मौत में पोस्टमार्टम कराने से क्यों भागती है पुलिस:
सुक्की में भी रंजीत सहनी की पत्नी अपने चार बच्चों के साथ जहर खाकर दुनिया को अलविदा कह दिया। यहां भी पुलिस शवों का पोस्टमार्टम नहीं कराया। आखिर सामूहिक मौत में शव को पोस्टमार्टम कराने से पुलिस क्यों भागती है। जब जहर खाने से एक की मौत होती है तो पुलिस उसे किसी तरह लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजती है। जबकि यहां पोस्टमार्टम नहीं कराया जाना कई सवाल खड़ा कर रहा है। घटना का कारण पारिवारिक कलह बताया जा रहा है। आखिर यहां अगर परिवारिक कलर हुई तो क्यों। यह भी सोचनीय सवाल है। मृतिका के पति रंजीत सहनी गांव में बगीचा रखवाली का काम करते हैं। उसी से जो मजदूरी मिलती है उससे घर परिवार को चलाना मुश्किल होता है। यह बताया गया कि मृतिका को न तो राशन कार्ड था और ना ही कोई सरकारी लाभ ही मिली है। झोपड़ी में रहकर अपने चार बच्चों को पाल रही थी।
परिवारिक कलह का कारण आर्थिक तंगी तो नहीं?
सुक्की में भी महिला और चार बच्चों की मौत कई सवाल को खराब कर रही है। यहां घटना का कारण अगर पारिवारिक कलह बताया जा रहा है तो यह कलह का कारण आर्थिक तंगी से जुड़ा होना इनकार नहीं किया जा सकता। परिवार में ना तो राशन कार्ड न हीं पीएम आवास और ना ही कोई अन्य लाभ। महिला के पति गांव में बगीचे की रखवाली करते हैं। उससे जो मजदूरी मिलती है। उससे स्वयं का पेट पालना मुश्किल है। इधर पत्नी और चार बच्चों का लालन-पालन करना उनके बस की बात नहीं। महिला पूरी तरह से अपने को खाई में गिरता देख चारों बच्चों के साथ मौत को गले लगाना उचित समझी। समझदार और जानकार लोगों का कहना है कि अगर उस परिवार को सरकारी लाभ मिलता तो शायद यह भीषण घटना घटित नहीं होती।