फख्र ए कॉम, मरहूम अब्दुल _कैय्युम_अंसारी के 117 वां _जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। क़ारी जावेद अख़्तर फैज़ी , 1जुलाई 1905.
फख्र ए कॉम, मरहूम अब्दुल _कैय्युम_अंसारी के 117 वां _जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। क़ारी जावेद अख़्तर फैज़ी , 1जुलाई 1905.
एक महान राष्ट्रवादी, स्वतंत्रता सेनानी, एक कुशल पत्रकार, लेखक और कवि की आज ही के दिन यानी 1 जुलाई 1905 में जन्म हुआ था।
मरहूम उर्दू सप्ताहिक “अल इस्ला”(सुधार) और एक उर्दू मासिक “मुस्वत” (समानता) के संपादक भी रहे। अखबारों के नाम से ही मालूम हो जाता है उनके क्या विचार थे।
सरकार तो हमेशा ऐसे लोगों के योगदान को भुलाना और मिटाना चाहेगी कि जिस व्यक्ति ने देश के लिए इतनी बड़ी कुर्बानियां दी हो, जिस ने जिन्ना के टू नेशन फार्मूले को डटकर विरोध किया हो।जो हमेशा समता और समानता की बात अपने किरदार से पेश किया हो।
दोस्तों इनके योगदान को हमेशा याद करने की जरूरत है हमें खुद अपने लोगों के बारे में सोचना चाहिए और उनके कारनामों को याद करके संगठित और शिक्षित बनने का प्रयास करना चाहिए।
अब्दुल कय्यूम अंसारी जनता के नेता थे, वे विशेष रूप से वंचित और गरीब लोगों में सबसे करीब थे। वे आखिरी सांस तक कांग्रेस के सच्चे और वफादार नेताओं में से एक थे।
लगभग सभी मुख्यमंत्रियों के मंत्रिमंडल में वो कैबिनेट मंत्री रहे।
वह सभी समुदाय के गरीबों के लिए मसीहा थे, उन्होंने बिहार के लगभग सभी जिलों में गरीब छात्रों के लिए छात्रावास और मुफ्त भोजन की स्थापना कराई।आज जिसे केंद्र और राज्य सरकार मिलकर पूरे भारत में मिड डे मील योजना के अंतर्गत चला रही है।
दोस्तों अल्लाह ने जो आपको इल्म और अक्ल की कुवते
और सलाहियतेदी है उसे अमली तौर पर इस्तेमाल कीजिए। आज बहुत आसान है किसी चीज के बारे में जानना।
अफसोस होता है आज हमारी बिरादरी के ज्यादातर लोग पिछलगू बनना अधिक पसंद करते हैं और दूसरे की गुलामी करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अपने पूर्वजों को याद कीजिए उनके नक्शे कदम पर चलिए। बच्चे को जरूर पढ़ाएं।