हर्षोल्लास के साथ मनाया गया बकरीद ( ईद-उल अजहा ) का पर्व ।
1 min readहर्षोल्लास के साथ मनाया गया बकरीद ( ईद-उल अजहा ) का पर्व ।
रिपोर्ट:ज़ाहिद वारसी
मुसलमान भाइयों का बलिदान त्याग समर्पण के प्रतीक पर्व ईद उल अजहा (बकरीद) बड़े ही हर्षोल्लास पूर्ण माहौल में मनाया गया.क्षेत्र के गोरौल,मानपुरा, भिखनपुरा,गुलजार बाग, कटहरा,प्रेमराज, शराबजल,हुसैना,इनायत नगर,गोढ़ीया,हरशेर,बेलवर,अन्धारीगाछी,बकसामा,पोझा सहित अन्य गांवो के मुसलमान भाइयो ने स्न्नान कर नए वस्त्र घारण कर पास के मस्जिदों में जाकर नमाज अदा किया . इसके बाद एक दूसरे से गले मिलकर बकरीद की बधाई दी गयी. जगह जगह पर बकरे की कुर्बानी भी दिया गया. कुर्बानी पर प्रकाश डालते हुय जाहिद वारसी, मो अंसार अहमद, मो इरसाद अहमद, तरन्नुम प्रवीण, रुकसाना खातून, जावेद आलम सहित कई मुसलमान भाइयो ने कहा कि कुर्बानी अल्लाह को पसंद है. कुर्बानी इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है, इब्राहिम अलैहिस्सलाम से अल्लाह ने बलिदान मांगा तो उन्होंने बहोत सारे जानवर को का बलिदान दिया परन्तु अल्लाह ने शिवकार नही किया बाद में इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने इकलौते पुत्र इस्माइल अलैहिस्सलाम को अल्लाह के राह में कुर्बान कर किया परन्तु अल्लाह ने पुत्र इस्माइल अलैहिस्सलाम को बचा लिया और उसकी जगह एक दूम्बे का कुर्बानी क़बूल किया तब से ये परम्परा चलती आ रही है इस सुन्नत को पैगम्बर मुहम्मद साहब ने भी अपनाया , अल्लाह के बंदे हम सभी लोग बिना किसी शिकवा शिकायत के अब बकरे को बड़े ही प्यार मोहब्बत और श्रद्धा के साथ पाल पोशकर बड़ा करते है और उसे ही अजीज जिगर का टुकड़ा समझकर कुर्बानी देते है जिससे अल्लाह ताला प्रशन्न हो जाते है. इस दौरान शांति व्यवस्था कायम रहे इसके लिये स्थानीय प्रशासन काफी चौकसी बरत रही थी.