रामविलास पासवान के किला को भेद सकेंगे शिवचंद्र राम
रामविलास पासवान के किला को भेद सकेंगे शिवचंद्र राम ।
आलेख सुधीर मालाकार ।
वैशाली! हाजीपुर ,लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। चारों तरफ सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है ।कौन जीतेगा कौन हारेगा ,इसकी चर्चा हर चौक चौराहे पर होती नजर आ रही है। अपनी डफली अपनी राग ,जो जिस गठबंधन का समर्थक हैं वह अपने नेता के जीतने की वकालत करते देखा जा रहा हैं ।एक दो टर्म को छोड़कर चार दशक तक एक क्षत्र हाजीपुर लोकसभा पर राज करने वाले पासवान परिवार पुनः एक बार किस्मत आजमाने के लिए आतुर है ।वैसे स्थिति में क्या राजद उम्मीदवार शिवचंद्र राम राम विलास पासवान के गढ़ को भेद सकेंगे। यह कोई यक्ष प्रश्न नहीं है ,जिसका कोई उत्तर नहीं हो ।यह तो जनता की मिजाज ही बताएगी कि हाजीपुर की सियासी करवट किस ओर बैठेगी ।पिछले लोकसभा चुनाव में जब अस्वस्थ होने के कारण रामविलास पासवान अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने भाई पशुपति पारस को उतारा था ,उसे वक्त भी लोग न चाहते हुए भी पशुपति पारस को जीत दर्ज करा दी थी ,उस वक्त भी महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में शिवचंद्र राम ही थे ।इस बार बिहार में युवाओं के आइकन बन चुके चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान के विरासत को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ मैदान में है ,वैसे स्थिति में शिवचंद्र राम की मुकाबला कांटे जैसे होगी ।एक तरफ शिवचंद्र राम अपने को स्थानीय ,घर का बेटा ,भाई, भतीजा कहकर लोगों से वोट मांग रहे हैं ,वहीं दूसरी तरफ चिराग पासवान अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए हाजीपुर की जनता से अपना आशीर्वाद मांग रहे हैं ।जनता किसके पक्ष में जाएगी ,यह कहना अभी मुश्किल है।