कर्बला के शहीदों को ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने किया याद।/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readकर्बला के शहीदों को ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने किया याद।/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
जयपुर, राजस्थान।
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने मोहर्रम के अवसर पर कर्बला के शहीदों को याद किया। शहीदों के नाम पर क़ुरआन ख़्वानी/ फातिहा ख़्वानी और ज़िक्रे शोहदा-ए-कर्बला की महफिलों का आयोजन किया और एक मोहर्रम से लेकर दस मोहर्रम तक, हुसैनी लंगर/ हुसैनी शर्बत/ हुसैनी ज़र्दा/ हुसैनी हलीम/ हुसैनी खीचड़ा/ हुसैनी बिरयानी आदि तक़सीम किया। कर्बला के 72 शहीदों की याद में, तरह तरह के पेड़-पौधे, अनेकों स्थानों पर लगाया और 9 व 10 मोहर्रम को रोज़ादारों को रोज़ा इफ़्तार भी करवाकर सवाब कमाया।
ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी, अशरफ़ी, चिश्ती, क़ादरी ने बताया कि देश में फाउंडेशन के सदस्यों ने एक मोहर्रम से लेकर दस मोहर्रम तक अनेकों जगहों पर नेकी का काम किया। सबसे ज़्यादा ग़ाज़ियाबाद के ज़िला अध्यक्ष, मोहम्मद अल्तमश क़ादरी, फ़रीदी ने ग़ाज़ियाबाद में/ गोरखपुर के ज़िला अध्यक्ष, समीर अली ने गोरखपुर में/ लखीमपुर के मीड़िया प्रकोष्ठ के ज़िला अध्यक्ष, पत्रकार मोहम्मद यूसुफ़ ने लखीमपुर में और बिहार के प्रदेश अध्यक्ष, शेख़ नौशाद अली ने सासाराम में शहीदों की याद में जमकर काम किया। अस्दक़ी ने बताया कि यह सभी नेकी के काम, हर हर चंदा, घर घर चंदा वाले सिस्टम से नहीं किए जाते हैं ब्लकि फाउंडेशन के सदस्य अपनी जायज़ व हलाल कमाई में से ही करते रहते हैं और अल्लाह व रसूल को राज़ी करते रहते हैं।
हज़रत मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी, अशरफ़ी, चिश्ती, क़ादरी ने बताया कि कोरोना के कारण बहुत ही मोहतात होकर देश में अनेकों स्थानों पर ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के सदस्यों ने काम किया और सरकारी गाइड़ लाइन का पुरा पुरा ख़्याल रखा। हज़रत मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी, अशरफ़ी, चिश्ती, क़ादरी ने हज़रत सय्यद इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहो अन्हों की शान में यह लाइनें पेश करके अपनी बात को समाप्त किया कि…
*कौनेन में बुलन्द है, रूत्बा हुसैन का, फ़र्शे ज़मीं से अ़र्श तक, शोहरा हुसैन का!*
*बेमिस्ल है जहां में, कुम्बा हुसैन का, सुल्ताने दो जहां है, नाना हुसैन का!!*