पोषण केंद्र में खिलखिला रहा बचपन – पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम से दर्जनों बच्चों के जीवन में आयी सेहत की बहार
1 min readपोषण केंद्र में खिलखिला रहा बचपन
– पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम से दर्जनों बच्चों के जीवन में आयी सेहत की बहार
शिवहर, 25 मार्च
आत्यायनी अपने नन्हें पैरों के सहारे खड़े होकर चलने-फिरने की नाकाम कोशिश एक दिन में कई बार करने लगी है। चेहरे पर बीच-बीच में दिखाई-देने वाली मुस्कुराहट यह बताने के लिए काफी है कि अब वह पहले से काफी अच्छी हो गई है। उसे कोई शारीरिक कमजोरी नहीं है। आत्यायनी की मुस्कान के साथ ही उसकी मां अंचला कुमारी की खुशी भी झलक रही है। आखिर मां को खुशी क्यूं न हो। सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में आकर कुपोषण का शिकार अपनी लाडली की सेहत जो बना ली। यहां कुछ दिन के इलाज, पोषण आहार के खान-पान, नियमित चिकित्सकीय जांच से आत्यायनी स्वस्थ हो रही है। वर्ना कुछ महीने पहले की ही बात थी। आत्यायनी का कम वजन, कम लंबाई, मायूस चेहरा, बार-बार रोना और शारीरिक कमजोरियां माता-पिता को परेशान किए हुए था। अब अंचला को पूरा भरोसा है कि उसकी लाडली जल्द स्वस्थ हो जाएगी और हंसते मुस्कराते घर चली जाएगी। वहीं कुछ दिन पहले ही एक साल की कृति भी यहां से ठीक होकर घर चली गई। पोषण पुनर्वास केंद्र के माध्यम से आत्यायनी जैसे दर्जनों बच्चों के जीवन में सेहत की बहार आयी है। कई बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।
बच्चों के साथ माताओं को भी रखने का प्रावधान-
सरोजा सीताराम सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र पर कुपोषित बच्चों के साथ माताओं को भी आवासीय सुविधा प्रदान किया जाता है। जहां बच्चे के साथ मां के लिए भी पौष्टिक आहार की व्यवस्था है। यहां कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं को 7 से 21 दिन तक रखने का प्रावधान है। मार्गदर्शिका के अनुसार जब बच्चे के वजन में बढ़ोतरी होना आरंभ होने लगता है और वह स्वस्थ हो जाता है तो उसे 21 दिन के पूर्व ही छोड़ दिया जाता है।
दी जाती है मिक्स डाइट की दवा –
पोषण पुनर्वास केंद्र की एफडी कहती हैं यहां बच्चों को तैयार डाइट के अनुसार खाना दिया जाता है। डाइट प्लान तैयार किया गया है। बच्चों को मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। एनआरसी में भर्ती बच्चों को आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर, अंडा दिया जाता है।
20 बेड का है केंद्र-
एनआरसी केंद्र में कुल 20 बेड लगे हुए हैं । इस वार्ड में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर उनको सही उपचार के साथ पौष्टिक आहार भी निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। यहां भर्ती किए जाने के बाद बच्चे पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर को वापस जाते हैं।
तीन स्तर पर कुपोषित बच्चों की होती है पहचान-
नर्सिंग स्टाफ संगीता कुमारी और पूजा झा ने बताया पोषण पुनर्वास केंद्र में 0 से लेकर 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए तीन स्तर पर उनकी जांच की जाती है। तीनों जांच के बाद ही बच्चे को कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। सर्वप्रथम बच्चे की लम्बाई (हाइट) के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे की बाजू की माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल हैं ।
मां को दी जाती है प्रोत्साहन राशि
एनआरसी केंद्र में भर्ती बच्चों के माता को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। 14 दिन के हिसाब से उन्हें3558 रुपये दिये जाते हैं। वहीं कुपोषित बच्चों की पहचान करने वाली आगंनबाड़ी सेविका व आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रोत्साहन राशि दिया जाता है। आगंनबाड़ी सेविका व आशा कार्यकर्ता ही कुपोषित बच्चों की पहचान कर बेहतर उपचार के लिए एनआरसी लाती हैं। आशा एवं सेविकाओं को 250 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है ताकि वह गांव से कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें एनआरसी में भर्ती करवा सकें।