कुहासा नहीं होने से गेहूं उत्पादको में निराशा /रिपोर्ट नवनीत कुमार
कुहासा नहीं होने से गेहूं उत्पादको में निराशा रिपोर्ट नवनीत कुमार
गेहूं की अच्छी उत्पादन के लिए धूंध का होना जरूरी, धूंध से गेहूं की फसल में आती है ग्रोथ
वैशाली: महुआ /कोहरा नहीं होने से एक ओर पान, आलू और हरी सब्जी उत्पादकों में खुशी देखी जा रही है तो वहीं दूसरी ओर गेहूं उत्पाद को में निराशा भी बनी है। गेहूं उत्पादकों का कहना है कि धुंध नहीं होने से गेहूं की फसल पर व्यापक असर पड़ेगा। यह गेहूं की अच्छी उत्पादन के लिए जरूरी है। जबकि दिसंबर बीता जा रहा है और अभी तक कुहासे का पता नहीं है।
यहां गेहूं उत्पादक किसानों ने बताया कि इस बार कुहासा गायब है। दिसंबर महीना समापन की ओर है। जबकि एक दिन भी कुहासे को नहीं देखा गया। किसानों ने बताया कि कुहासे से गेहूं की फसल अच्छी होती है। इससे गेहूं के पौधों में ग्रोथ और हरियाली आती है। किसान बताते हैं कि जब तक कुहासा नहीं होगा गेहूं की अच्छी फसल नहीं ली जा सकती है। वेलोग खेतों में जुताई कर गेहूं की फसल लगाए हैं। गेहूं की अगात बुआई कर रखें किसानों द्वारा पहली सिंचाई भी की जा रही है। किसान बताते हैं कि गेहूं बुआई के 22 दिन बाद उसमें सिंचाई करना जरूरी होता है। जिन्होंने समय से इसकी बुआई कर ली है वह पहली सिंचाई कर उसमें यूरिया डाल रहे हैं। गेहूं की अच्छी उत्पादन के लिए तीन सिंचाई और कुहासे का होना जरूरी है।
इस बार तो ऐसे ही 50 फीसद भूमि जल जमाव के चपेट में है। शेष भूमि पर पानी सूखने के बाद किसानों ने जुताई कर उसमें गेहूं की फसल लगाई है। हालांकि समय बीत जाने के बाद भी किसान पानी सूखने पर खेतों की जुताई कर अभी भी गेहूं की बुवाई कर रहे हैं। भदवास शाहपुर के वीरेंद्र सिंह ने बताया कि खेतों में पानी सूखने पर उसकी जुताई की है और उसमें फसल बुअाई किए हैं। पूछने पर कि 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक ही इसकी बुआई होती है। इस पर उन्होंने बताया कि खेतों में पानी रहने के कारण बुवाई नहीं कर पाए थे। अभी पानी सुखी है तो उसे जुताई कर गेहूं की बुआई किए हैं। इधर कन्हौली के महेश प्रसाद सिंह, वीरेंद्र सिंह, अवधेश कुमार, सूर्यकांत सिंह, सुरेश कुमार, रघुवंश प्रसाद आदि बताते हैं कि रात को ठंड पड़ती है और दिन में धूप खिल जाती है। इससे आलू पान सहित हरी सब्जियों के लिए अच्छा है। आलू और पान उत्पादक किसान छिड़काव कर फसल को पाले से बचाने में कामयाब हो रहे हैं। जबकि कुहासा नहीं होने के कारण गेहूं की उपज पर व्यापक असर देखी जा रही है।