*रेलमंडल के इंजीनियरों ने कबाड़ से बना दिया बुद्ध की प्रतिमा*
समस्तीपुर (जकी अहमद)
रेल मंडल के इंजीनियरों ने पहले तो कबाड़ से राफेल बनाया था। जिसके बाद अब उन्होंने रेलवे के कबाड़ी से बुद्ध की प्रतिमा बना दिया है। इंजीनियरों ने कबाड़ के रूप में फेंके जा रहे उपकरण को अब आकर्षक कलाकृतियों का रूप दे दिया है। पिछले साल राफेल का मॉडल दिखाने के बाद मेक इन इंडिया शेर बनाकर आत्मनिर्भर भारत की प्रस्तुति दिया था, तो अब रेल मंडल के इंजीनियरों ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठे भगवान बुध की कलाकृति बनाकर शांति का संदेश दिया है। यांत्रिक कारखाना में रेलवे के कबाड़ से विविध माडल बनाकर स्टेशन को डेकोरेट किया जा रहा है। आधा दर्जन से अधिक माडल लगाये जा चुके हैं। हाथ में हथौड़ा लिए रेलकर्मी, चरखा, एक हाथ में बंदूक व दूसरे में तिरंगा के साथ सिर पर टोपी लगाया सैनिक, तोप, राफेल और मिसाइल की कलाकृतियां लोगों को आकर्षित करती है। विभिन्न आकृतियों को बनानेे की शुरुआत वर्ष 2018 में शुरू हुई थी। वर्ष 2019 में सहरसा स्टेशन पर पेट्रोल मैन लगाया गया था। दरभंगा स्टेशन पर लगाने के लिए मेक इन इंडिया लोगो, फिटर और हिरण तैयार किए गये हैं। इंजीनियरों ने एलईडी लाइट से एक माडल बनाया है, जिसमें एक कारीगर नीचे बैठा लोहे से कुछ बना रहा और एक व्यक्ति उसपर हथौड़े से चोट कर रहा है। कबाड़ के इस्तेमाल के लिए तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक अशोक माहेश्वरी के निर्देश पर तत्कालीन सीनियर डीएमई महानंद झा के निर्देशन में टीम बनाई गई थी। इसमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर आनंद कुमार वर्मा, सीनियर टेक्नीशियन अजित कुमार, अवधेश कुमार राय, वेल्डर प्रेम कुमार व चुल्हाई ठाकुर शामिल हैं। यांत्रिक कारखाने में काम करनेवाले कर्मचारी ड्यूटी के बाद बचे समय में इन कलाकृतियों को बनाते हैं। इंजीनियरों की मानें तो विभिन्न कलाकृतियों को तैयार करने में घिसे चक्के, आयरन राड, प्लेट, पाइप, केबल, बेयरिंग आदि का इस्तेमाल होता है। सबसे पहले उसका आनलाइन माडल देखकर प्रिंट निकाला जाता है। इसके बाद जरूरत के अनुसार यांत्रिक कारखाना और लोको शेड से पार्ट का चयन किया जाता है। इधर मंडल रेल प्रबंधक आलोक अग्रवाल का कहना है कि इंजीनियरों ने बेहतर सोच और कल्पना से कबाड़ का स्वरूप बदल दिया है। उनके इस्तेमाल से बनने वालीं कलाकृतियां आकर्षण का केंद्र हैं।