सरकारी काम नहीं मिलने से दिहाड़ी मजदूरी करने को विवस है श्रमिक
1 min readसरकारी काम नहीं मिलने से दिहाड़ी मजदूरी करने को विवस है श्रमिक
महुआ। रेणु सिंह
सरकारी काम नहीं मिलने से मजदूरों को दिहाड़ी पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि गांव में दिहाड़ी मजदूरी कभी कभार मिलती है। जिसके कारण मजदूरों को घर चलना मुश्किल होता है।
एक नजर देख तो दिन बदले दिनचर्या बदली लेकिन अभी भी नहीं बदली मजदूरों की तस्वीर। आज भी मजदूर हासिए पर हैं। उन्हें मुफ्त में सरकारी अनाज मिल जाती है। जिसके सहारे उनके परिजनों की जिंदगी कट रही है। मजदूर बताते हैं कि अभी मनरेगा से कहीं भी कोई काम नहीं हो रहा है। वही श्रम कार्ड के बारे में बताया कि यह तो अधिकतर मजदूरों को नहीं मिली है। जिन्हें मिले भी है उन्हें इस कार्ड से कोई फायदा नहीं। मजदूर यह भी बताते हैं कि रोजी-रोज के होता है। वह रोज कमाते हैं और रोज उसी से चूल्हा भी जलता है। जबकि मनरेगा में कमाने पर मजदूरी कब खाते पर आएगी। इसका कोई समय निर्धारित नहीं है। दिहाड़ी मजदूरी करने पर उन्हें मजदूरी भी ठीक-ठाक के साथ रोज मिल जाती है। सरकार द्वारा मजदूरों के लिए कौन-कौन सी योजना संचालित है। इसके बारे में भी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने आने वाले सरकार से अपेक्षा जताया की विकास के नाम पर हो रहे लूट खसोट और भ्रष्टाचार पर रोक लगे। विकास के लिए सरकार राशि तो देती है लेकिन आधे तो ऊपर से लेकर नीचे तक कमीशन में ही खत्म हो जाती है। यह प्रावधान पूरी तरह खत्म होनी चाहिए। तब जाकर सरकारी राशि की बंदरबाट रुकेगी और विकास भी जमीन पर दिखेगा।