May 20, 2022

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– इस वर्ष जिले में अभी तक मात्र पांच मरीज मिले, विभाग ने मरीजों के लिए अस्पतालों में किए हैं जरूरी इंतजाम

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एकजुट प्रयास से एईएस/जेई पर स्थिति नियंत्रण में

– इस वर्ष जिले में अभी तक मात्र पांच मरीज मिले, विभाग ने मरीजों के लिए अस्पतालों में किए हैं जरूरी इंतजाम

सीतामढ़ी,20 मई।
स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों और निरंतर निगरानी की बदौलत इस वर्ष जिले में एईएस-जेई के मामले नियंत्रण में हैं। इस बार जिले में अभी तक मात्र पांच मामले एईएस के सामने आए हैं। जिसमें से चार बच्चों को पूरी तरह स्वस्थ्य कर घर भेज दिया गया। जबकि एक बच्चे को बचाने में सफलता नहीं मिली। जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने कहा कि हमने पिछले वर्षों से सीख लेते हुए इसकी रोकथाम के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। विभाग की पर्याप्त व्यवस्थाओं का ही नतीजा है कि इस बार एईएस के कहर को कम करने में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि जिला से पंचायत स्तर तक के सरकारी अस्पतालों में पूरी व्यवस्था की गई है।

फैलायी जा रही जागरूकता, स्वास्थ्य कर्मियों को मिला प्रशिक्षण-

डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने कहा कि हैंडबिल/पोस्टर वितरण, दीवाल लेखन, एलईडी वाहन परिचालन, होर्डिंग/फ्लेक्स इत्यादि के माध्यम से जागरूकता फैलायी जा रही है। सभी पंचायत सरकार भवन, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिवाल लेखन का कार्य किया गया है। डॉ. यादव ने कहा कि 170 चिकित्सा पदाधिकारी के साथ 138 एएनएम और 56 जीएनएम को प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अलावा 2832 आशा कार्यकर्ता एवं 2959 आंगनबाड़ी को प्रशिक्षित किया गया है। साथ ही 16000 स्वयं सहायता समूह की जीविका दीदियों और लगभग 80 पंचायतों के मुखिया को भी एईएस से बचाव को लेकर प्रशिक्षण दिया गया है।

दवाइयां एवं उपकरण उपलब्ध कराया गया-

डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने कहा कि जिले के सभी
एईएस/चमकी बुखार से संबंधित सभी आवश्यक दवाइयां एवं उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। रेफरल सिस्टम पूरी मजबूती के साथ कार्य कर रहा है। आंगनबाड़ी सेविका/सहायिका जीविका दीदियों एवं आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा दैनिक रूप से डोर टू डोर विजिट करते हुए अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है। प्रत्येक वार्ड में 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर विशेष नजर रखी जा रही है। आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से एईएस किट दी गयी है। जिसमें पैरासिटामोटल टैबलेट, ओआरएस का पैकेट व प्रचार सामग्री है, ताकि किसी बच्चे की सेहत खराब होने और उनमें चमकी बुखार के लक्षण दिखे तो बताये गये डोज के हिसाब दवा दे सकें। इसके बाद तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराना भी सुनिश्चित करा सकें।

बेहोशी या चमकी दिखने पर तुरंत अस्पताल जाएं-

जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. रवीन्द्र कुमार यादव ने कहा कि गंभीर बीमारी चमकी से पीड़ित बच्चों को समय पर इलाज किया जाये तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। इसमें तीन बातों को याद रखने की जरूरत है। इसमें पहली यह है कि बच्चों को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलायें। इसके बाद सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाएं। देखें कि बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं हुई है। बेहोशी या चमकी दिखते ही तुरंत एंबुलेंस या किसी दूसरे वाहन से अस्पताल ले जायें। चमकी बुखार से पीड़त बच्चों को अस्पताल पहुंचाने के लिए गाड़ी का भाड़ा स्वास्थ्य विभाग देती है।

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