24 सप्ताह तक का गर्भ समापन कानूनी रूप से वैध -पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के 22 एएनएम का किया गया उन्मुखीकरण वैशाली। सांझा प्रयास नेटवर्क एवं औलिया आध्यात्मिक अनुसंधान केन्द्र द्वारा सुरक्षित गर्भ समापन उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पटेढ़ी बेलसर प्रखण्ड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 22 एएनएम का उन्मुखीकरण किया गया। उन्मुखीकरण कार्यक्रम में आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन के रिसर्च एंड ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर राम कृष्णा द्वारा बताया गया कि विशेष श्रेणी की महिलाओं के गर्भ समापन की अवधि नये कानून के तहत 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह तक किया गया है। इस उन्मुखीकरण में जानकारी दी गई कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने की प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण तथा सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कुछ खास कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया एवम एमटीपी एक्ट में 2021 में संशोधन किया गया। जिससे विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आर एम पी की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक मुकेश कुमार, प्रखंड समन्वयक विश्व स्वास्थ्य संगठन बलवंत कुमार आदि उपस्थित थे।
1 min read24 सप्ताह तक का गर्भ समापन कानूनी रूप से वैध
24 सप्ताह तक का गर्भ समापन कानूनी रूप से वैध
-पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के 22 एएनएम का किया गया उन्मुखीकरण
वैशाली। सांझा प्रयास नेटवर्क एवं औलिया आध्यात्मिक अनुसंधान केन्द्र द्वारा सुरक्षित गर्भ समापन उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पटेढ़ी बेलसर प्रखण्ड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 22 एएनएम का उन्मुखीकरण किया गया।
उन्मुखीकरण कार्यक्रम में आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन के रिसर्च एंड ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर राम कृष्णा द्वारा बताया गया कि विशेष श्रेणी की महिलाओं के गर्भ समापन की अवधि नये कानून के तहत 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह तक किया गया है। इस उन्मुखीकरण में जानकारी दी गई कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने की प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण तथा सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कुछ
खास कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया एवम एमटीपी एक्ट में 2021 में संशोधन किया गया। जिससे विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी।
उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आर एम पी की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक मुकेश कुमार, प्रखंड समन्वयक विश्व स्वास्थ्य संगठन बलवंत कुमार आदि उपस्थित थे।
-पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के 22 एएनएम का किया गया उन्मुखीकरण
वैशाली। सांझा प्रयास नेटवर्क एवं औलिया आध्यात्मिक अनुसंधान केन्द्र द्वारा सुरक्षित गर्भ समापन उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पटेढ़ी बेलसर प्रखण्ड के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 22 एएनएम का उन्मुखीकरण किया गया।
उन्मुखीकरण कार्यक्रम में आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन के रिसर्च एंड ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर राम कृष्णा द्वारा बताया गया कि विशेष श्रेणी की महिलाओं के गर्भ समापन की अवधि नये कानून के तहत 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह तक किया गया है। इस उन्मुखीकरण में जानकारी दी गई कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने की प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण तथा सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कुछ
खास कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया एवम एमटीपी एक्ट में 2021 में संशोधन किया गया। जिससे विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी।
उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आर एम पी की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक मुकेश कुमार, प्रखंड समन्वयक विश्व स्वास्थ्य संगठन बलवंत कुमार आदि उपस्थित थे।