2 महीना तक चलने वाले महिलाओं का हरौली बुढ़िया माई पूजन शुरू
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2 महीना तक चलने वाले महिलाओं का हरौली बुढ़िया माई पूजन शुरू
गंगा दशहरा से लेकर सावन पूर्णिमा तक महिलाओं की भीड़ से गुलजार होता है हरौली का बुढ़िया माई स्थान, दो महीने तक प्रत्येक शुक्रवार और सोमवार को पूजन के लिए महिलाओं की उमड़ती है भीड़
महुआ। रेणु सिंह
महिलाओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक हरौली का बुढ़िया माई दरबार मे पहले शुक्रवार को पूजन के लिए महिला श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। यहां महिलाएं बुढ़िया माई को एक चुटकी सिंदूर चढ़ा कर घर परिवार के सलामती के साथ अमर सुहाग की मन्नत मांगी।
मालूम हो कि यह स्थान वैशाली जिला ही नहीं बल्कि कई जिलों के लिए इकलौता यह स्थान महिलाओं के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र है। जहां गंगा दशहरा के साथ मैं का पूजन शुरू हो जाता है। जो 2 महीने सावन पूर्णिमा तक महिला श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहता है। यहां दो महीने तक प्रत्येक शुक्रवार और सोमवार को बुढ़िया माई पूजन के लिए महिला श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यह बुढ़िया माई स्थान शक्तिपीठ के नाम से भी जानी जाती है। यहां महिलाओं की आस्था है कि बुढ़िया माई की पूजन करने से घर परिवार में शांति के साथ सुख समृद्धि आती है। वही माई की कृपा से सब कुछ ठीक-ठाक रहता है। खासकर यहां शादी विवाह करने वाले परिवार की महिलाएं आकर माता की पूजन अवश्य करती हैं। उनका मानना है कि माई की पूजन करने से उनकी कृपा नव दांपत्य जीवन खुशहाल होता है। यहां 90 फीसद महिलाएं माता दरबार में पहुंचती हैं।गंगा दशहरा के दूसरे दिन ही शुक्रवार होने के कारण माई पूजन के लिए काफी भीड़ हुई।
वैशाली ही नहीं बल्कि कई जिलों का इकलौता हैं बुढ़िया मैया:
हरौली की बुढ़िया माई वैशाली जिले का ही नहीं बल्कि कई जिलों की महिलाओं के लिए इकलौता आस्था और भक्ति का केंद्र है। यहां वैशाली जिले के कोने-कोने के अलावा महुआ अनुमंडल से काफी संख्या में महिला श्रद्धालु पहुंचती हैं। वही मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, छपरा, सारण, पटना के अलावा अन्य जिलों से भी महिला श्रद्धालु यहां पहुंचकर माई के दरबार में माता टेकती हैं।
एक चुटकी सिंदूर ही माई पूजन के लिए काफी:
हरोली की बुढ़िया माई पूजन के लिए मात्र एक चुटकी सिंदूर ही काफी है। माई को महिलाएं एक चुटकी सिंदूर चढ़ा कर नाक से लेकर पूरा मांग सिंदूर से भरती हैं और स्वयं के साथ घर महिलाओं को अमर सुहागन बने रहने के लिए मन्नत मांगती हैं। यहां महिलाएं माई को सिंदूर के साथ चीनी के बनी पंचमेवा मिठाई भी चढ़ाती हैं। यहां पर अन्य देवी देवताओं की पूजा के साथ बच्चों के विभिन्न संस्कार भी होते हैं। मनौती मान रख लोग बच्चों के मुंडन, जनेऊ, अन्नप्राशन, विद्यारंभ आदि संस्कार कराते हैं। यहां किन्नरों का नाच भी मन्नत में लोग मानते हैं।
कई प्रदेशों से पहुंचे हैं दुकानदार:
हरौली के बुढ़िया माई स्थान पर 2 महीने तक चलने वाली मेला में दुकान सजाने के लिए वैशाली जिले के साथ अपने राज्य के अलावा दूसरे प्रदेश से भी काफी संख्या में दुकानदार पहुंचे हैं। उन्होंने दुकान लगा रखी है। यहां बर्तन, खेल सामग्री, महिला प्रशाधन, मीना बाजार, फर्नीचर, होटल, चाय नाश्ता सहित विभिन्न प्रकार के सैकड़ो दुकानें सजी है। हालांकि यहां आने वाले महिला श्रद्धालुओं के साथ आम लोगों को मलाल है कि इतनी भीड़ होने के बाद भी प्रशासन की ओर से सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।