September 11, 2025

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अनुच्छेद 341/3 और पसमांदा मुसलमानों का SC आरक्षण न मिलने पर हो रहा मुसलमानों का नुक़सान!इरफ़ान जामिया वाला

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1. इरफान जामियावाला का ऐतिहासिक और संवैधानिक सवाल (अनुच्छेद 341/3 और पसमांदा मुसलमानों का SC आरक्षण न मिलने पर हो रहा मुसलमानों का नुक़सान!

2. उपराष्ट्रपति चुनाव का पूरा गणित, जिसमें बीजेपी-एनडीए और INDIA ब्लॉक का संख्याबल व क्रॉस वोटिंग की अफ़वाहें शामिल हैं।

मैं इसे एक संगठित रिपोर्ट के रूप में इस तरह प्रस्तुत करता हूँ:

इरफान जामियावाला का बड़ा सवाल: पसमांदा मुसलमानों के आरक्षण की ऐतिहासिक भूल और उपराष्ट्रपति चुनाव

नई दिल्ली।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया से निकले बड़े नेता और गरीब मुसलमानों के हमदर्द इरफान जामियावाला ने उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बीच एक बड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि –

“अगर मुसलमानों को भी दलित पसमांदा अनुसूचित जाति आरक्षण (अनुच्छेद 341/3) का लाभ मिला होता तो आज संसद में 132 सीटों में से लगभग 66 मुस्लिम सांसद होते। तब न तो वक्फ़ बिल पास होता और न ही INDIA गठबंधन को इतनी करारी हार मिलती। इतिहास की यही भूल आज मुसलमानों और पूरे विपक्ष के लिए भारी साबित हो रही है।”

उपराष्ट्रपति चुनाव और क्रॉस वोटिंग का विवाद

हाल ही में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी INDIA ब्लॉक की हार के बाद भाजपा और AIMIM से जुड़ी हलकों में यह अफ़वाह उड़ाई गई कि विपक्षी सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की।
हालांकि चुनावी आँकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं।

संख्याबल का पूरा हिसाब:

INDIA ब्लॉक: 315 सांसद

NDA: 427 सांसद

YSRCP: 11 सांसद (NDA को समर्थन) → कुल 438

अन्य विपक्षी दल (BJD, BRS, अकाली दल, 2 निर्दलीय): 28 सांसद

क्या हुआ मतदान में?

BJD (7), BRS (4), अकाली दल (1) और 2 निर्दलीय सांसदों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया।

यानी 14 सांसद गैर-हाज़िर रहे, और बचे 14 ने किसी भी उम्मीदवार को खुलकर समर्थन नहीं दिया।
नतीजा:

INDIA ब्लॉक उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले।

NDA उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले।

असल रहस्य:

INDIA ब्लॉक के कुल 315 वोटों में से 15 वोट चुनाव आयोग ने निरस्त कर दिए।

दूसरी ओर, BJD, BRS और निर्दलीय मिलाकर 14 सांसदों ने NDA उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाल दिया।

यही वजह रही कि विपक्ष के उम्मीदवार को 15 वोट कम मिले और NDA को 14 अतिरिक्त वोट मिले।

नतीजे का राजनीतिक संदेश

इस नतीजे ने साफ़ कर दिया कि—

विपक्ष की एकजुटता कागज़ पर ही रही।

मुसलमानों और पसमांदा समाज की राजनीतिक हिस्सेदारी के सवाल को दरकिनार करने की ऐतिहासिक भूल आज भी विपक्ष की ताक़त को कमजोर कर रही है।

इरफान जामियावाला जैसे नेताओं की यह बात वाजिब है कि अगर मुसलमानों को भी दलित वर्ग में आरक्षण का लाभ मिला होता तो राजनीतिक गणित पूरी तरह बदल जाता।
इरफान जामियावाला
राष्ट्रीय महा सचिव: आल इंडिया पासमंदा मुस्लिम महाज़
संयोजक: जामिया अल्मुनि संस्था

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