शिक्षा और नैतिकता से समृद्ध होना विकास के लिए आवश्यक है: मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी
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शिक्षा और नैतिकता से समृद्ध विकास के लिए आवश्यक है: मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी
रिपोर्ट :अब्दुल वाहिद
हाजीपुर, वैशाली, फतेहाबाद, क़ुतुबपुर, हाजीपुर जिला वैशाली में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव मास्टर ज़ाकिर हुसैन ने मौलाना मुफ्ती अनीसुर्रहमान क़ासमी के अमीर-ए-शरीयत चुने जाने पर जोशपूर्ण स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सदर मुफ्ती, इमारत शरिया मौलाना मुफ्ती सुहैल अहमद कासमी रहमानी ने की।
अमीर-ए-शरीयत मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी ने अपने संबोधन में कहा, “शिक्षा ही राष्ट्रों की प्रगति की आधारशिला है। हमें पूरे देश में शैक्षिक जागरूकता फैलानी चाहिए।” उन्होंने कहा, “सबसे पहले हमें अपने ईमान को मजबूत करना होगा। दीन के सभी पहलुओं—इबादत, नैतिकता और व्यवहार—पर अमल करना होगा। नैतिकता में उत्कृष्टता आएगी तो सफलता मिलेगी। हमें अपने देशवासियों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। हम ‘ख़ैर उम्मत’ हैं, इसलिए सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि सभी मानवता के लिए काम करना है। हमें राजनीतिक, शैक्षिक और सामाजिक हस्तियों से भी संपर्क बढ़ाना होगा। नैतिक पतन को रोकना होगा। देश में शांति और सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति को सुधारने की ज़िम्मेदारी सरकार की है, लेकिन पूरे समाज की भी ज़िम्मेदारी है।” उन्होंने आगे कहा, “नफ़रत फैलाने वाले धार्मिक नहीं हो सकते।”
उन्होंने यह भी कहा, “यदि हम वास्तव में राष्ट्र की भलाई चाहते हैं, तो हमें सबसे पहले शिक्षा पर ध्यान देना होगा। शिक्षा सिर्फ़ डिग्री हासिल करने या नौकरी की गारंटी नहीं, बल्कि सोचने, समझने और बदलने की क्षमता का नाम है।” उन्होंने दुहराते होए कहा, “विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच संवाद और विचार-विमर्श का माहौल बनाना चाहिए, ताकि ग़लतफहमियाँ दूर हों और एक-दूसरे की बात सुनी जाए। इसके लिए साझी मानवीय मूल्यों पर ज़ोर देना चाहिए। सभी धर्म शांति, प्रेम, सेवा और नैतिकता की शिक्षा देते हैं। इन साझा सिद्धांतों को उजागर करें, न कि मतभेदों को।”
मौलाना मुफ्ती सुहैल अहमद कासमी रहमानी ने कहा, “कुछ लोगों का सिद्धांत है कि झूठ को इतना दोहराओ कि वह सच लगने लगे। आज अमेरिका की यही नीति है। मुझे और हज़रत अमीर-ए-शरीयत को इमारत शरिया की चालीस साल तक सेवा करने का अवसर मिला और हम आज भी इसी में लगे हुए हैं।” उन्होंने कहा, “अमीर-ए-शरीयत को एक बेहतर आलिम-ए-दीन होना चाहिए। हज़रत मौलाना अबुल महासिन मुहम्मद सज्जाद ने स्पष्ट किया था कि अमीर-ए-शरीयत आलिम के साथ साथ मुफ्ती भी होगा।”
मौलाना अब्दुल माजिद कासमी चतुर्वेदी ने कहा, “इमारत शरिया कोई अस्थायी पौधा नहीं, बल्कि ज्ञान और ईमानदारी से सींचा गया एक विशाल वृक्ष है। सौ साल बाद एक ऐसा व्यक्ति अमीर-ए-शरीयत बना है जो इल्म और फ़िक़्ह की योग्यता नहीं रखता है। ऐसे समय में हमारा ईमानी, इस्लामी और नैतिक कर्तव्य है कि हम मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी की आवाज़ पर लब्बैक कहें। हमें ख़ुशी है कि आप सभी ने सुनने और मानने का संकल्प लिया है।”
श्री नजमुल हसन नजमी (अध्यक्ष, नजम फाउंडेशन) ने कहा, “हज़रत अमीर-ए-शरीयत मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी एक बड़े आलिम-ए-दीन हैं, कई महत्वपूर्ण किताबों के लेखक हैं। उनकी सेवाएँ उम्मत-ए-मुस्लिमा के लिए मार्गदर्शक हैं। उन्होंने शिक्षा और सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है। युवाओं को ज्ञान से समृद्ध करना उनकी प्राथमिकता है।”
मास्टर ज़ाकिर हुसैन ने कहा, “मैं मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी को अमीर-ए-शरीयत चुने जाने पर हार्दिक बधाई देता हूँ। आपकी नेतृत्व क्षमता एक वरदान है। यह स्वागत समारोह आपकी शान में बहुत छोटा है, लेकिन आपके प्रेम में आयोजित किया गया है। यहाँ उपस्थित सभी लोग आपके प्रति समर्पण और निष्ठा प्रकट करने आए हैं। पूरा वैशाली आपके साथ खड़ा है। हम आपके आदेशों का पालन करने की घोषणा करते हैं और सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने गर्मी की तपिश के बावजूद कार्यक्रम में भाग लिया।”
मौलाना नियाज़ अहमद कासमी ने कहा, “हम हज़रत अमीर-ए-शरीयत का दिल से स्वागत करते हैं। इस्लाम जमात के बिना नहीं, जमात इमारत के बिना नहीं और इमारत अमीर के बिना नहीं। मौलाना अनिसुर रहमान क़ासमी का चुनाव उलेमा-ए-किराम ने पूर्ण विश्वास के साथ किया है। अब हमें आज्ञापालन के साथ आगे बढ़ना है और उम्मत को एकजुट करना है।”
अब्दुल वाहिद ने कहा, “मैं अरबाब-ए-हल व अक़्द की बैठक में भी शामिल था। मैं मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी के प्रेम में यहाँ आया हूँ। मैं उन्हें अपना अमीर मानता हूँ और उनकी आज्ञा मानने का संकल्प लेता हूँ।”
अफ़ज़ल हुसैन ने कहा, “मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी का चुनाव हम सभी के लिए सुखद है। उनकी वैज्ञानिक, फ़िक़्ही और बौद्धिक समझ हमारे लिए मार्गदर्शक है। हमें उनके आदेशों और समर्थन में दृढ़ता से खड़ा होना चाहिए।”
मास्टर नियाज़ अहमद ने कहा, “हमने इमारत शरिया की गद्दी को उसके असली हक़दार तक पहुँचा दिया है। जिन लोगों ने ग़ैर-शरई तरीक़े से इमारत पर कब्ज़ा कर रखा है, उनका अंत निश्चित है। हमने पहल की है, इंशाअल्लाह सफलता हमारा हिस्सा होगी।”
मौलाना कमर आलम नदवी ने कहा, “मौलाना कासमी की शैक्षिक सेवाएँ किसी से छिपी नहीं हैं। उन्होंने छात्र जीवन में ही कई महत्वपूर्ण किताबें लिखीं। ‘फतावा उलेमा-ए-हिंद’ जैसी महान किताब उनका बड़ा कारनामा है। मास्टर ज़ाकिर हुसैन ने इस स्वागत समारोह का आयोजन करके अच्छी पहल की है, वह बधाई के पात्र हैं।”
मौलाना मुहम्मद सदर आलम नदवी ने कहा, “हज़रत अमीर-ए-शरीयत मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। उनका दिमाग़ मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसा है। किसी ने मुझसे पूछा कि आप उनके प्रशंसक क्यों हैं? तो मैंने कहा—मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी एक ज़मीनी इंसान हैं, उन्होंने व्यावहारिक काम किए हैं, संस्थाएँ बनाई हैं। यदि कोई चाहता है कि मैं उसका प्रशंसक बनूँ, तो उसे भी ज़मीन पर उतरकर काम करना होगा।”
मौलाना मुहम्मद अरशद नूर ने कहा, “मैं हज़रत अमीर-ए-शरीयत के प्रेम और श्रद्धा में यहाँ उपस्थित हुआ हूँ। मैं वैशाली की धरती पर आपका दिल से स्वागत करता हूँ। आप लोग भलाई के कामों में लगे हुए हैं। इंशाअल्लाह, अल्लाह की मदद आपके साथ रहेगी।”उन्होंने आगे कहा, “मैं ये शब्द सिर्फ़ एक व्यक्ति के तौर पर नहीं, बल्कि इस मिशन से जुड़े सभी लोगों की ओर से कह रहा हूँ। अल्लाह से दुआ है कि वह इस मिशन में और बरकत दे और आपकी सेवाओं को क़ुबूल करे।”
इस अवसर पर श्री कौसर परवेज़ ख़ान ने सुंदर तरीक़े से कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने अपने संबोधन में हज़रत अमीर-ए-शरीयत की सीरत, सेवाओं और राष्ट्रीय नेतृत्व पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में मोहम्मद अफ़रोज़ आलम, मोहम्मद फ़िरोज़, नियाज़ अहमद, मोहम्मद ज़िया उद्दीन, मोहम्मद वसीम उद्दीन, मोहम्मद नबी हसन, मोहम्मद हसनीन आलम, मोहम्मद मुजाहिद, ग़ुलाम हुसैन, मोहम्मद दिलकश, हाफ़िज़ मोहम्मद आसिफ़, मोहम्मद रुस्तम आदि गणमान्य लोगों ने भाग लिया। कई हस्तियों ने संबोधित करते हुए हज़रत अमीर-ए-शरीयत मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी को बधाई दी।