पातेपुर में सरकार के सौतेलेपन व्यवहार के खिलाफ ग्राम कचहरी सचिवों एवं न्याय मित्रों का आक्रोश मार्च

पातेपुर में सरकार के सौतेलेपन व्यवहार के खिलाफ ग्राम कचहरी सचिवों एवं न्याय मित्रों का आक्रोश मार्च
। रिपोर्ट सुधीर मालाकार ।
पातेपुर (वैशाली)प्रखंड अंतर्गत ग्राम कचहरी सचिवों ने दस वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद भी बिहार सरकार के द्वारा महज तीन हजार रुपये प्रतिमाह की मानदेय में वृद्धि किये जाने के फैसले पर कड़ी निंदा की । विरोध में ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों का समर्थन पाकर पातेपुर प्रखंड परिसर से आक्रोश मार्च कर पूरे बाजार में जूलूस निकाला। जिसमें बिहार कैबिनेट के फैसले की प्रतियां फाड़कर रोष प्रदर्शन किया गया । बिहार सरकार सुनो गुहार मानदेय कर दो तीस हजार के नारे बुलंद की गई। अंत में बीडीओ को ज्ञापन सौंपा गया। मार्च का संचालन ग्राम कचहरी सचिव संघ के प्रखंड अध्यक्ष सुनील पासवान ,पंच सरपंच संघ के अरविंद कुमार तथा न्यायमित्र सुनिल कुमार कुशवाहा ने संयुक्त रुप से किया। आक्रोश मार्च में पातेपुर प्रखंड के सभी ग्राम कचहरियों से जनप्रतिनिधि एवं कर्मी शामिल थे। इन सभी ने बताया कि विगत दस वर्षों से लगातार बिहार सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों एवं समाचारपत्रों के माध्यम से मानदेय में दोगुना या उससे अधिक वृद्धि की खबरें मंत्री एवं मुख्यमंत्री के स्तर से आती रही, पर मंगलवार को महज तीन हजार रुपये की वृद्धि करना महाधोखा है।संघ इसकी घोर निंदा करते हुए ग्राम कचहरी सचिव पद की गरिमा एवं कार्यभार तथा मंहगाई वृद्धि के मद्देनजर तीस हजार रुपये प्रतिमाह किए जाने की मांग रखते हैं,नहीं तो सड़क पर ही नहीं विधानसभा चुनाव में भी पूरा ग्राम कचहरी परिवार इस सरकार के विरुद्ध मतदान करेंगे । अबतक ग्राम कचहरी एवं पुस्तकालय संचालन के कार्यों के अलावे सरकार के सभी महत्वपूर्ण कार्य जैसे चुनाव,जनगणना,आयुष्मान अभियान, राजस्व महा अभियान एवं अन्य सभी महत्वाकांक्षी कार्य जी जान से करते आ रहे हैं,पर अभी जबतक समुचित मानदेय वृद्धि नहीं होगी ,हम सभी अन्य प्रतिनियुक्तियों पर कार्य का बहिष्कार जारी रखेंगे। जनहित को होनेवाले असुविधा के लिए बिहार सरकार जवाबदेह होगी।
जिलाध्यक्ष कुमार गौरव ने बताया कि मांगे पूरी होने तक राज्य संघ द्वारा चरणबद्ध आंदोलन जारी रखी जाएगी।
इनके आक्रोश मार्च को देखकर समाज के हर व्यक्ति का यही कहना था कि यह सरकार का घोर अन्याय है और सरकार को यथाशीघ्र इनके मानदेय वृद्धि पर पुनर्विचार करना चाहिए।