विद्रोह और क्रांति रामचंद्र राकेश के साहित्य की पूंजी
विद्रोह और क्रांति रामचंद्र राकेश के साहित्य की पूंजी
कविताओं में विद्रोह और क्रांति विषय का चयन तभी सार्थक हो सकता है जब उसका आम पाठकों के द्वारा व्यावहारिक प्रयोग किया जाए और क्रांति तभी सफल हो पाती है,साहित्यकार रामचंद्र प्रसाद सिंह राकेश की अंग्रेजी काव्यकृतियों को पढ़ने के बाद पाठकों में विद्रोह के स्वर उभरते हैं लेकिन इसका व्यावहारिक उपयोग जनांदोलन को गतिशील करने में होना चाहिए,ये उद्गार आज वक्ताओं ने कवि और साहित्यकार रामचंद्र प्रसाद सिंह राकेश के प्रथम पुण्य तिथि पर आयोजित शोक सभा और विचार गोष्ठी में व्यक्त किया। वरिष्ठ नागरिक संघ और सफदर हाशमी रंगमंच हाजीपुर के संयुक्त बैनर तले स्थानीय स्टेशन रोड स्थित कार्यालय में आयोजित शोक सभा के दौरान कवि और साहित्यकार रामचंद्र प्रसाद सिंह राकेश के काव्य संग्रह ओ डेथ और फायर लौंग लाइव के कविताओं का पाठ किया गया और इसके सामयिक प्रासंगिकता पर व्यापक चर्चा किया गया। कार्यक्रम में कवियों ने कवि रामचंद्र प्रसाद सिंह राकेश के व्यक्तित्व और कृतित्व को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। उपस्थित कवियों और प्रबुद्ध वक्ताओं में वरिष्ठ कवि रविन्द्र कुमार रतन,मनोज भूषण,डॉ नंदू दास, डॉ महेंद्र प्रियदर्शी, विजय कुमार गुप्ता अशोक कुमार सिंह,विश्वजीत कुमार,डॉ अमित कुमार सोलंकी, सत्यप्रकाश कुमार,राजकुमार,दीपक कुमार ,आकाश कुमार,अमित कुमार,जितेंद्र प्रसाद,नरेंद्र कुमार, अभिषेक कुमार ने विचार व्यक्त किया।कार्यक्रम में विषय प्रवेश डॉ सुधांश कुमार चक्रवर्ती,धन्यवाद ज्ञापन सुधाकर कांत चक्रवर्ती और कार्यक्रम का संचालन रंगकर्मी उमेश कुमार निराला ने किया।
