बाल विवाह मुक्त भारत के लिए सरकार के ‘100 दिवसीय अभियान’ में कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगा स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान।
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बाल विवाह मुक्त भारत के लिए सरकार के ‘100 दिवसीय अभियान’ में कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगा स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान।
भारत को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार के दृढ़ निश्चय और बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के एक साल पूरे होने के मौके पर स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने बिहार के वैशाली/ सिवान/ बक्सर जिलों से बाल विवाह के खात्मे के लिए शुरू हुए ‘100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान’ की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी सरकारी विभागों व एजेंसियों के साथ करीबी समन्वय से काम करने का संकल्प दोहराया। इस अवसर पर वैशाली जिला स्थित शुक्ला सभागार में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में माननीय केन्दीय मंत्री महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार श्रीमती अन्नपूर्णा देवी के द्वारा बाल विवाह मुक्त भारत के तहत ‘100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान’ का शुभारम्भ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार की राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर के उपस्थिति में किये जा रहे कार्यक्रम का लाइव वेबकास्ट किया गया। जिसमें संस्था के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला सहित संस्था के सभी कर्मी एवं स्कूली बच्चे बच्चियों सहित जिले के विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्त्ता एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। बताते चले कि स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान इन जिलों में अर्से से बाल विवाह के खात्मे के लिए जमीन पर काम कर रहा है। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के एक साल पूरा होने के अवसर पर नई दिल्ली में इस ‘100 दिवसीय गहन जागरूकता’ अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य उस पूरे परिवेश को ध्वस्त करना है जो बाल विवाह के फलने-फूलने में मदद करते हैं। इन प्रयासों में मिली सफलता को रेखांकित करते हुए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि स्पष्ट नीतियों, लगातार की जा रही कार्रवाईयों और गांव-गांव तक पहुंच रहे प्रयासों की बदौलत भारत बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। केंद्र ने अधिसूचना जारी कर सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वे इस ‘100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान’ को सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करें ताकि बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में जनसमुदाय में चौतरफा और स्पष्ट बदलाव देखने को मिले। अधिसूचना के बाद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और उच्च शिक्षा विभाग को इस अभियान में सक्रिय भागीदारी करने के निर्देश दिए हैं ताकि लक्षित उद्देश्यों को हासिल किया जा सके।वैशाली/ सिवान/ बक्सर जिले में बाल विवाह रोकने के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन के लगातार सहयोग और विभिन्न कदमों की सराहना करते हुए स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला ने कहा, “जिला प्रशासन बाल विवाह के खात्मे की दिशा में बढ़-चढ़ कर प्रयास कर रहा है। हमारी सफलताएं उनके साथ करीबी समन्वय से काम करने का नतीजा हैं। आज पूरा देश एकजुट है और देश का शीर्ष नेतृत्व बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में हम निश्चित रूप से 2030 से पहले ही देश को इस अपराध से मुक्त बना देंगे। दुनिया जिसे कभी असंभव मानती थी, वह आज भारत में संभव होता दिखाई दे रहा है और इस ऐतिहासिक पल का हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व का विषय है।” स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी संगठन है। इसके 250 से भी अधिक सहयोगी संगठन देश में बाल विवाह के खात्मे के लिए जमीन पर काम कर रहे हैं। पिछले एक वर्ष में ही इस नेटवर्क ने देश में एक लाख से ज्यादा बाल विवाह रोके हैं। ‘100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान’ ने एक स्पष्ट और लक्ष्य केंद्रित रणनीति तय की है। इसके तहत स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों, उन धार्मिक स्थलों जहां विवाह संपन्न होते हैं, विवाह में सेवाएं देने वाले पेशेवर सेवा प्रदाताओं, और आखिर में पंचायतों व नगरपालिका वार्डों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि बच्चों के खिलाफ होने वाले इस सदियों पुराने अपराध को पूरी तरह समाप्त किया जा सके। इस अभियान को तीन चरणों में बांटा गया है और इसका आखिरी चरण 8 मार्च 2026 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर समाप्त होगा। इसका पहले चरण में स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों में जागरूकता के प्रसार पर जोर रहेगा। वहीं दूसरे चरण में मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे जैसे धार्मिक स्थलों पर जहां विवाह संपन्न कराए जाते हैं व बैंक्वेट हाल और बैंड वालों, हलवाई जैसे विवाह में सेवाएं देने वालों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। तीसरे और आखिरी चरण बाल विवाह की रोकथाम के लिए ग्राम पंचायतों, नगरपालिका के वार्डों और समुदाय स्तरीय भागीदारी और जिम्मेदारी को मजबूत किया जाएगा। इस कार्य योजना के बारे में जिला प्रशासन को पहले ही ब्योरेवार सूचित किया जा चुका है।
