एसएसबी के जवानों ने एमडीए कार्यक्रम के तहत खाई दवा /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
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एसएसबी के जवानों ने एमडीए कार्यक्रम के तहत खाई दवा /रिपोर्ट नसीम रब्बानी
– फाइलेरिया से बचाव को जिले में जागरूकता के साथ चल रहा है दवा सेवन का कार्यक्रम
– लोगों से एमडीए दवा सेवन की हो रही है अपील

बेतिया, 11अक्टूबर। पश्चिमी चम्पारण जिले के बगहा जहाँ से उत्तरप्रदेश की सीमाएं नजदीक हैं, स्थित एसएसबी 65वी बटालियन के बीच एमडीए कार्यक्रम के बारे मे एसीएमओ डॉ दिवाकर प्रसाद के द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई । साथ ही कमांडिंग ऑफिसर पंकज डंगवाल तथा डिप्टी कमांडेंट अजय कुमार के सहयोग से मौके पर 1600 जवानों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गई।
“बगहा” गंडक नदी व भैसालोटन जैसे जंगल के क्षेत्र में भी कठिन परिश्रम के बदौलत यहाँ के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए बिहार सरकार के निर्देशानुसार सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) चलाया जा रहा है। एसीएमओ डॉ दिवाकर प्रसाद ने बताया कि जिले में 02 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा आशा कार्यकर्ताओं द्वारा खिलाई जा रही है। उन्होंने फाइलेरिया के बारे में बताते हुए कहा कि यह रोग क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला रोग है जिसे आमतौर पर हाथी पांव भी कहा जाता है। इससे लोगों के हाथ, पैर या हाइड्रोसिल(अण्डकोष) में सूजन हो जाती है। प्रारंभिक अवस्था में ही अगर इसकी पहचान कर इसे रोक दिया जाए तो इससे सुरक्षित रहा जा सकता है।
वहीं कमांडिंग ऑफिसर पंकज डंगवाल व डिप्टी कमांडेंट अजय कुमार ने जवानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप सभी इस दवा का प्रयोग जरूर करें ,इससे कोई खतरा नहीं होता है।
फाइलेरिया के लक्षण :
केयर डीपीओ आकांक्षा सिंह, भीबीडीसीओ रमेश कु मिश्र ने फाइलेरिया के लक्षणों के बारे बताते हुए कहा कि फाइलेरिया को हाथीपाँव रोग के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया की शुरुआती लक्षण होते हैं। यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है। इससे बचने के लिए मच्छरदानी का भी प्रयोग जरूर करें।
पीसीआइ के डीसी नवलकिशोर सिंह ने बताया इस अभियान को सफल बनाने के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर 2 साल से अधिक उम्र के लोगों को अपने सामने फाइलेरिया की दवा खिला रही हैं। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है जिससे फाइलेरिया की दवा सेवन से ही बचा जा सकता है। कभी-कभी फाइलेरिया के परजीवी शरीर में होने के बाद भी इसके लक्षण सामने आने में वर्षों लग जाते हैं। इसलिए फाइलेरिया की दवा का सेवन सभी लोगों के लिए लाभप्रद है। उन्होंने बताया लोग खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें। उन्होंने बताया 2 साल से कम उम्र के बच्चे, गंभीर रोग से ग्रसित एवं गर्भवती महिला को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाएगी।
– लोगों को ऐसे खानी है दवा :
इस फाइलेरिया मुक्त अभियान में डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की गोलियाँ लोगों की दी जाएगी। 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं अल्बेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं अल्बेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं अल्बेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी। अलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है।
मौके पर एसीएमओ दिवाकर प्रसाद, कमांडिंग ऑफिसर पंकज डंगवाल, डिप्टी कमांडेंट अजय कुमार, पीसीआई के डीसी नवलकिशोर सिंह , केयर डीपीओ अकांक्षा सिंह बीसी श्यामसुंदर कुमार, धर्मेंद्र यादव , राजकुमार शर्मा, भीबीडीसी रमेश कुमार मिश्र उपस्थित थे।
