विश्व यक्ष्मा दिवस पर टीबी दूर भगाने का लिया संकल्प – जिले में टीबी मरीजों का रिकवरी रेट 83 प्रतिशत – नियमित करें टीबी की दवाओं का सेवन
विश्व यक्ष्मा दिवस पर टीबी दूर भगाने का लिया संकल्प
– जिले में टीबी मरीजों का रिकवरी रेट 83 प्रतिशत
– नियमित करें टीबी की दवाओं का सेवन
मुजफ्फरपुर, 24 मार्च
टीबी के रोगी समाज के प्रत्येक वर्ग में हैं। हमें जरुरत है उन्हें खोज निकालने की ताकि उनका सही समय पर इलाज हो। टीबी के वैसे मरीज जिनकी बलगम जांच पॉजिटिव आ चुकी है का उपचार सही समय पर नहीं किया गया तो वे एक साल में अमूमन 10 से 15 लोगों को टीबी के मरीज बना सकते हैं। ये बातें सिविल सर्जन डॉ सुरेन्द्र कुमार चौधरी ने विश्व यक्ष्मा दिवस पर समाहारणालय में हुए कार्यक्रम में बुधवार को कही। कार्यक्रम की शुरुआत डीडीसी सुनील कुमार झा, अपर समाहर्ता अजय कुमार और सीडीओ डॉ अमिताभ सिन्हा ने की। मौके पर सिविल सर्जन डॉ चौधरी ने कहा कुछ लोग दो तीन महीने टीबी की दवा खाते और छोड़ देते हैं। यह नियमित दवाओं का सेवन न करना ही सबसे नुकसानदायक होता है। यह टीबी के अगले स्तर एमडीआर को न्यौता देना है। वहीं डीडीसी सुनील कुमार झा ने कहा कि आज का दिन सिर्फ यक्ष्मा माह का समापन है, पर टीबी मरीजों की खोज और उपचार में लगातार मॉनिटरिंग की जरूरत होगी। इससे लेागों के बीच जागरूकता भी आएगी और इलाज भी कराएगें। तब कहीं जाकर हमारा 2025 का लक्ष्य संभव हो पाएगा। यक्ष्मा दिवस के मौके पर समाहरणालय से एनसीसी के कैडटों ने रैली निकाली जो सदर अस्पताल होते हुए फिर समाहारणालय में आयी । इस रैली में “टीबी हारेगा देश जीतेगा” के नारे भी लग रहे थे।
नोटिफिकेशन में लानी होगी तेजी
अपर समाहर्ता अजय कुमार ने कहा कि टीबी को हराने के लिए इसके नए मरीजों की खोज बहुत आवश्यक है। जितने ज्यादा मरीज मिलेंगे उनका उपचार संभव हो पाएगा। सरकार ने टीबी की जांच और उपचार के लिए बेहतर व्यवस्था की है। अगर टीबी को हराने में आपदा प्रबंधन विभाग का सहयोग चाहिए तो विभाग इसके लिए सदैव तत्पर है।
वजन का कम होना भी टीबी के लक्षण
हम आम तौर पर यह जानते हैं कि दो हफ्ते से ज्यादा की खांसी टीबी है, पर किसी को शाम में बुखार आ रहा हो, बलगम में खून आ रहा हो या बिना वजह वजन कम हो रहा हो तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि सरकारी अस्पतालों पर आकर जांच और उपचार जरूर कराएं। अब प्राइवेट क्लिनिक को भी टीबी की जांच और उपचार करने के लिए 1000 रुपए मिलते हैं। इसमें 500 रुपए टीबी मरीजों की खोज और 500 उपचार करने के लिए प्रति मरीज मिलते हैं। वहीं दवाओं की उपलब्धता भी नि:शुल्क कराई गई है। साधारण टीबी और एमडीआर टीबी दोनों में से किसी भी तरह के मरीज हों अपनी दवाओं का नियमित सेवन करें। साधारण टीबी मरीजों की दवा छह महीने तथा एमडीआर की छह से 20 महीने तक चलती है। जिले में अभी टीबी रोगियों के ठीक होने की दर 83 प्रतिशत है।
बीसीजी का टीका अवश्य लें
कार्यक्रम में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एके पांडेय ने कहा कि टीबी जैसी बीमारियों से बचाव के लिए ही जन्म के समय नवजातों को बीसीजी का टीका दिया जाता है। वहीं इसके साथ ही हेपेटाइटिस बी और ओरल ओपीभी के टीके पड़ते हैं जो भविष्य के लिए सुखद है।
निक्षय पोषण योजना के तहत मिलते हैं 500 रुपए
सरकारी तथा प्राइवेट में टीबी का इलाज करा रहे मरीजों को 500 रुपए उनके पोषण के लिए सीधे उनके खाते में डाले जा रहे हैं। यह राशि जब तक दवा चलती है तब तक दी जाती है। मौके पर डीडीसी सुनील कुमार झा,अपर समाहर्ता अजय कुमार, सीडीओ डॉ अभिताभ सिन्हा, सीएस डॉ एसके चौधरी, डीपीएम बीपी वर्मा, जिला भीबीडी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार, डीआइओ डॉ एके पांडेय केयर डीटीएल सौरभ तिवारी सहित जीत कोओर्डिनेटर और अन्य लोग मौजूद थे।