स्वरांजलि संस्था के संयोजक अनिल रश्मि … अजल सुला देगी सबको आखिर ,किसी बहाने थपक – थपक कर । ना हम रहेंगे , ना तुम रहोगे ,न शाद ये दास्तां रहेगी ।

स्वरांजलि संस्था के संयोजक अनिल रश्मि … अजल सुला देगी सबको आखिर ,किसी बहाने थपक – थपक कर ।
ना हम रहेंगे , ना तुम रहोगे ,न शाद ये दास्तां रहेगी ।

सनोवर खान /राजा कुमार पुट्टू
पटना:एक माँ क़े बेटे हैं ,हिंदु हो की मुस्लिम हो ,
गुलज़ार है़ दोनों से , दामन ये वतन अपना ।’ हिंदु ,मुस्लिम ,सीख ,ईसाई
सबको अपने हृदय में समाहित करने
बाले अज़ीम शायर शाद अज़ीमाबादी
क़ा जन्म और मृत्यु पटना सिटी में हुआ । मंदिर ,मस्जि़द ,गुरुद्वारे क़े बीच उनका मज़ार है़। उर्दू क़े साथ हिंदी में भी उनकी कई रचनाएँ हैं ,जिन्हें राज्य
सरकार को प्रकाशित करना चाहिए ताकि नई पीढ़ी शाद से रू – ब – रू हो सके । ये बातें आज जंगली प्रसाद स्थित स्वरांजलि सभागार में शाद क़े जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम क़ा केक काटकर उदघाटन करते हुए वरीय साहित्यकार प्रभात कुमार धवन नें कही ।
बतौर मुख्य अतिथि ( वर्चुअल )
शिक्षाविद व साहित्यकार डा. ध्रुव कुमार ने कहा मिर्जा ग़ालिब क़े समतुल्य अज़ीम शायर शाद क़े लिए
एक स्मृति चीन्ह क़ा ना होना बड़े ही
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दुर्भाग्य की बात है़। कम से कम उनके
नाम पर *** शाद विश्वविद्यालय
खोले राज्य सरकार ताकि सदियों तक
उनका नाम आनेवाली नस्ले भी याद रखें ,यही उनके प्रति सच्ची श्रधांजलि
होगी ।