बच्चों के लिए छह माह तक स्तनपान जरूरी – गर्भवती महिलाओं के भोजन में भी आयरन, कैल्सियम, विटामिन का सही मात्रा में होना जरूरी
1 min readबच्चों के लिए छह माह तक स्तनपान जरूरी
– गर्भवती महिलाओं के भोजन में भी आयरन, कैल्सियम, विटामिन का सही मात्रा में होना जरूरी
मोतिहारी, 9 मार्च | नवजात शिशुओं को जीवन के पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए। उसके बाद पूरक आहार के साथ, स्तनपान कम से कम दो साल या उससे अधिक समय तक जारी रखा जाना चाहिए। यह कहना है स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ प्रीति गुप्ता और शिशु रोग चिकित्सक डॉ बेगम रुबिया का। डॉ प्रीति गुप्ता ने कहा कि प्रसव के बाद महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में दुग्धस्राव के लिए अतिरिक्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, ताकि वे बच्चे की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। इसलिए आहार में किसी भी प्रकार की अपर्याप्तता उसके दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों को ही प्रभावित करती है।
मां के अन्दर बच्चे को स्तनपान कराने की उत्कृष्ट क्षमता
मां के अन्दर अपने बच्चे को स्तनपान कराने की एक उत्कृष्ट क्षमता होती है। माताएं स्वयं अपने शरीर के पोषक तत्वों के भंडार में से स्तनपान की जरूरतों को पूरा करती हैं। हालांकि, पानी में घुलनशील विटामिन (एस्कॉर्बिक एसिड और ‘बी’ समूह के विटामिन की आहार में कमी होने से माँ के दूध में इन विटामिनों का स्तर कम हो जाता है। इस प्रकार स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए, धात्री माताओं के पोषण स्तर को बनाए रखने पर जोर देना आवश्यक है। महिलाओं को अपने भोजन में संतुलित आहार दूध, दाल, हरी सब्जियां, मांस, मछली, अंडा, फलों, के साथ आयरन, कैल्सियम , मल्टी विटामिन को शामिल करना चाहिए।
मां का दूध बच्चे के लिए सम्पूर्ण आहार
मां का दूध बच्चे के लिए एक सम्पूर्ण आहार है। स्तनपान बच्चे को पोषण प्रदान करने का एक प्राकृतिक तरीका है। मां के दूध में पाचन शक्ति व अत्यधिक पौष्टिकता होती है। इसके अलावा विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से शिशु को प्रतिरक्षा प्रदान करता है। स्तन (मानव) दूध में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 जैसे आवश्यक फैटी एसिड्स होते हैं, जो तंत्रिका विकास और मस्तिष्क के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। छह माह से ज्यादा होने पर बच्चे को दलिया, खिचड़ी, दाल का पानी, हरी सब्जी , गाय का दूध, दूध से बनी वस्तुओं का भरपूर मात्रा में सेवन कराना चाहिए । जिससे शिशु के शरीर का सम्पूर्ण विकास होता है । शिशु कुपोषण से बचता है।
महिला आहार को सबसे कम प्राथमिकता
भारत में महिलाओं के आहार को सबसे कम प्राथमिकता दी जाती है और वे पूरे परिवार की भली-प्रकार देखभाल करके भी सबसे आखिरी में और बहुत कम खाती हैं। इसलिए, महिलाओं के पोषण को अधिक नहीं तो कम-से-कम एक समान महत्व दिया जाना चाहिए और परिवार के बाकी सदस्यों द्वारा इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। महिलाओं को विशेष रूप से गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान अपने आहार पर ध्यान देने की जरूरत है।