प्रखंड क्षेत्र की महिलाएं बड़े ही श्रद्धा एवं विश्वास के साथ पति के दीर्घायु होने के लिये तीज ( हरतालिका ) व्रत की ।
गोरौल वैशाली जाहिद वारसी की रिपोर्ट।
प्रखंड क्षेत्र की महिलाएं बड़े ही श्रद्धा एवं विश्वास के साथ पति के दीर्घायु होने के लिये तीज ( हरतालिका ) व्रत की । इच्छित वर प्राप्ति के लिये भी यह व्रत की जाती है । पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिये हिमालय पर तपस्या की थी और इसी तिथि को भगवान शिव ने दर्शन देकर माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था । उसी समय से इस पवित्र तिथि को यह पर्व मनायी जाती है ।महिलाएं उपवास रख माता पार्वती एवं भगवान शिव की पूजा अर्चना करती हैं । यह पर्व हमारे यहां खासकर पति के दीर्घायु के लिये करती है । इस पर्व को हरतालिका व्रत के नाम से भी जाना जाता हैं ।
हरतालिका नाम के कारण को विद्वान आचार्य इंद्र भूषण मिश्र ने बताया कि माता पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिये घोर तपस्या कर रही थी , जिसके कारण उनका शरीर कमजोर हो चुका था । ।
यह देख माता पार्वती की सहेलियां काफी चिंतित हो गयी और सभी ने मिलकर उनका अपहरण कर लिया , जिसके कारण हरतालिका के नाम से लोग जानने लगे । हरत का अर्थ होता है अगवा करने एवं आलिका का अर्थ होता है सहेलियों द्वारा अपहरण करना ।
इसी से इसका नाम हरतालिका हुआ । महिलाएं इस व्रत के दौरान माता पार्वती , गणेश एवं भगवान शिव के अलावे अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना की । इस पर्व में महिलाएं रात को सोती नहीं है रात भर भगवान शिव एवं माता पार्वती की आराधना कर कथा सुनती एवं सुनाती है ।
इस व्रत में महिलाएं सोलहो श्रृंगार कर नये वस्त्र धारण कर बेलपत्र , धतूरे का फल , शमीपत्र , फूल , मदार का फूल सहित अन्य सामग्रियों के साथ यह पर्व करती हैं । महिलाएं भोर के समय शर्गही खाकर 24 घंटे का वर्त रखती हैं 24 घंटे के बाद पूजा अर्चना कर पंडितों को दान करने पश्चात ही अन ग्रहण करतीं हैं।