उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की रचनाएँ हिंदी साहित्य में मील का पत्थर साबित हुआ:शशि भूषणहा जीपुर:31 जुलाई
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उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की रचनाएँ हिंदी साहित्य में मील का पत्थर साबित हुआ:शशि भूषणहा
जीपुर:31 जुलाई
हाजीपुर के गुरु देव रवीन्द्र नाथ टैगोर के प्रेरणा से स्थापित टैगोर स्कूल के सभागार में उपन्यास सम्राट मुन्शी प्रेमचंद की जयंती समारोह देश की हिन्दी के क्षेत्र में चर्चित दो संस्थाओं विश्व हिंदी परिषद एवं बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की वैशाली शाखा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। सबसे पहले मुन्शी प्रेमचंद के चित्र पर उपस्थिति साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्पांजलि अर्पित किया। अपने विचार व्यक्त करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार रवीन्द्र कुमार रतन ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने लेखन की शुरुआत उर्दू में “नवाब राय” नाम से की, लेकिन बाद में वे “प्रेमचंद” नाम से लिखने लगे। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, और अनुवाद सहित विभिन्न विधाओं में लिखा।
प्रेमचंद ने अपने लेखन के माध्यम से समाज में व्याप्त गरीबी, शोषण, और असमानता को उजागर किया। उन्होंने किसानों, मजदूरों, और दलितों के जीवन को अपनी कहानियों में चित्रित किया। वहीं विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
एवं हिंदी साहित्य सम्मेलन वैशाली के अध्यक्ष डॉ शशि भूषण कुमार ने कहा कि प्रेमचंद की प्रमुख रचनाओं में उपन्यास के रूप में
गोदान, गबन, निर्मला, रंगभूमि, कर्मभूमि, प्रेमाश्रम, कायाकल्प, प्रतिज्ञा, सेवा सदन, मंगलसूत्र (अधूरा) एवं कहानियों के रूप में कफन, ईदगाह, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, पूस की रात, नमक का दरोगा, ठाकुर का कुआँ, मंत्र, दो बैलों की कथा, सत्याग्रह, शतरंज के खिलाड़ी, बूढ़ी काकी । इतना ही नहीं चर्चित निबंध महाजनी सभ्यता के रूप में सभी साहित्यकाओं से अलग करता है। तभी तो
प्रेमचंद को “उपन्यास सम्राट” की उपाधि से सम्मानित किया गया है। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में मील का पत्थर मानी जाती हैं। इस कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख साहित्य प्रेमियों रूबी देवी, लुबना नवाज,कुमारी पिंकी सहित कई लोगों ने अपने -अपने विचार रखे। इस अवसर पर स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ सभी बच्चे भी उपस्थिति थे, जिन्होंने कार्यक्रम के पहले हिन्दी पर आयोजित कार्यशाला में भी भाग लिया और बाद में हिंदी के प्रति अपना समर्पण दिखाया।
