August 21, 2025

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राज्य में चार महीने में ही लक्ष्य का 37 प्रतिशत हुआ संस्थागत प्रसव

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राज्य में चार महीने में ही लक्ष्य का 37 प्रतिशत हुआ संस्थागत प्रसव

-शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव होने का अनुमान
-संस्थागत प्रसव से मातृ मृत्यु दर में आती है कमी

 

पटना। बिहार में मातृ स्वास्थ्य को लेकर व्यापक सुधार देखने को मिल रहे हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और सामुदायिक प्रयासों का असर संस्थागत प्रसव में भी देखने को मिल रहा है। राज्य में वित्तीय वर्ष 2025—26 के चार महीनों में ही 37 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर लिया है। इस वृद्धि का मुख्य कारण स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रोत्साहन राशि और जागरूकता अभियानों को माना जा रहा है।
“होम डिलीवरी मुक्त पंचायत” पहल ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रही है। इस पहल के तहत आशा कार्यकर्ताओं और पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से हर गर्भवती महिला को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं के समय पर एएनसी (एंटी-नेटल केयर) जांच कराने की दर भी बढ़ी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 के अनुसार, चार एएनसी जांच कराने वाली महिलाओं की संख्या 14.4% से बढ़कर 25.2 % हो गई है, जो मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार का संकेत है।
मातृ मृत्यु दर में भी 18 पॉइंट्स की गिरावट दर्ज की गई है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे के नए आंकड़ों के अनुसार, बिहार में मातृ मृत्यु दर 100 है, जबकि 2018-20 में यह 130 थी। वहीं, इस गिरावट में संस्थागत प्रसव में वृद्धि, प्रसवपूर्व देखभाल सेवाओं की सुलभता, जननी सुरक्षा योजना के तहत वित्तीय प्रोत्साहन और आशा कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका अहम रही है। इसके अलावा, एचडब्लूसी के विस्तार और उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान एवं विशेष देखभाल ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस सुधार को और गति देने के लिए राज्य स्तर पर मेटरनल डेथ सर्विलांस को सुदृढ़ किया जा रहा है, जिसमें आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य संस्थानों की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
पटना एम्स में एडिशनल प्रोफेसर डॉ इंदिरा प्रसाद ने कहा कि घर में प्रसव माँ और उसके बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है. प्रसव के दौरान प्रसव पश्चात् अत्यधिक रक्तस्राव, एक्लेम्सिया, संक्रमण आदि का खतरा रहता है. इसके लिए संस्थागत प्रसव ही सही विकल्प है क्यूंकि स्वास्थ्य संस्थानों में प्रशिक्षित नर्स, कर्मी एवं डॉक्टर प्रसव के दौरान किसी भी जटिलता से निपटने में सक्षम होते हैं.
आने वाले वर्षों में बिहार सरकार मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त करने की योजना बना रही है। ‘होम डिलीवरी मुक्त पंचायत’ पहल को मजबूत करने के साथ, स्वास्थ्य निगरानी को और मजबूत किया जा रहा है। इन प्रयासों से बिहार को सुरक्षित मातृत्व के राष्ट्रीय मॉडल के रूप में स्थापित करने की दिशा में मदद मिलेगी, जिससे आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य मिल सकेगा।

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