गोरखपुर :जिक्रे शहीद-ए-कर्बला महफिलों का समापन।/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readगोरखपुर :जिक्रे शहीद-ए-कर्बला महफिलों का समापन।/रिपोर्ट नसीम रब्बानी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
पहली मुहर्रम से शुरु हुई जिक्रे शहीद-ए-कर्बला महफिलों का समापन दसवीं मुहर्रम कुल शरीफ की रस्म के साथ हुआ। कुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी हुई। जुमा की तकरीर में भी उलेमा-ए-किराम ने कर्बला की दास्तान बयान की।
पुराना गोरखपुर इमामबाड़ा में मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीजी, मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर में मौलाना रियाजुद्दीन कादरी व मौलाना फिरोज निजामी, शाही मस्जिद बसंतपुर सराय में मुफ्ती शमीम, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में मौलाना अली अहमद, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना असलम, मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर में नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी, कारी मोहम्मद अनस रजवी, गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी, अक्सा मस्जिद शाहिदाबाद हुमायूंपुर उत्तरी में मौलाना तफज़्ज़ुल हुसैन रज़वी व हाफ़िज़ अज़ीम अहमद नूरी, बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादपुर में कारी शराफत हुसैन क़ादरी ने कहा कि मुहर्रम की 10वीं तारीख को हजरत सैयदना इमाम हुसैन व आपके जांनिसारों ने मैदान-ए-कर्बला में तीन दिन भूखे-प्यासे रह कर दीन-ए-इस्लाम की हिफाजत के लिए जामे शहादत नोश फरमा कर हक के परचम को सरबुलंद फरमाया। हजरत इमाम हुसैन और यजीद मलऊन के बीच जो जंग हुई थी वह सत्ता की जंग नहीं थी बल्कि हक व सच्चाई और बातिल यानी झूठ के बीच की जंग थी। अन्य मस्जिदों व घरों में भी सैयदना इमाम हुसैन व उनके जांनिसारों की अज़ीम कुर्बानी को शिद्दत से याद किया गया। उलेमा-ए-किराम ने जब कर्बला का दास्तान सुनाई तो अकीदतमंदों की आंखें भर आईं। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती के लिए खास दुआ की गई। शीरीनी बांटी गई। इस दौरान बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।
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