August 22, 2021

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गोरखपुर :रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहनों की असीम मोहब्बत और प्रेम का प्रतीक है।/रिपोर्ट नसीम रब्बानी

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गोरखपुर :रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहनों की असीम मोहब्बत और प्रेम का प्रतीक है।/रिपोर्ट नसीम रब्बानी

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार /पर्व का एक विशेष महत्व है। यह त्यौहार हमारी भारतीय धार्मिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े रहने के साथ-साथ समाज में आपसी प्रेम और सद्भावना मोहब्बत और अपनापन को भी अधिक मजबूती प्रदान करते हैं। सनातन संस्कृति में रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के स्नेह एवं विश्वास का अटूट बंधन है, रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार 22 अगस्त को मनाया जाएगा यानी आज ही के दिन। धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए यह भी कहना गलत नहीं होगा कि रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई को राखी बांधने के बाद उसके माथे पर कुमकुम या चंदन का तिलक लगाती है कुछ लोग तिलक के अक्षत का भी इस्तेमाल करते हैं। दरअसल तिलक लगाने के पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों प्रकार की मान्यताएं हैं, तिलक को प्यार, सम्मान, पराक्रम और विजय का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई शुभ कार्य के लिए घर से बाहर जाता है तो उस काम के पूरा होने की और तार्किक क्षमता बढ़ती है तथा 7 कामना करते हुए घर की महिलाएं उसे ही सात बल और वृद्धि में वृद्धि होती है तिलक करती हैं इसलिए भाई को रक्षा खुल बिना कर देखो तो तिलक करने से पुत्र बांटते समय बहनों का भाई को होने वाली सभी लाभ एवं भाई की उसकी तिलक करना बेहद शुभ माना जाता है। बहन की रक्षा करने के लिए जरूरी है और तिलक हमेशा माटी के बीच में लगाते हैं यही कारण है कि बहन के द्वारा भाई के और इस स्थान को छठी इंद्रिया अग्रि माथे पर तिलक लगाना बेहद अहम चक्र का स्थान भी कहा जाता है।
वही वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो रक्षाबंधन के दिन वह तिलक जो बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है उससे व्यक्ति की याददाश्त और उनको अपनी रक्षा करने के लिए तैयार करती है आत्मविश्वास में वृद्धि होती है निर्णय करने की क्षमता उत्पन्न होती है इसलिए यह पर्व रक्षाबंधन लेने की क्षमता प्रदान करता है, बौद्धिक माना जाता है।
*ऐतिहासिक धारिता के आधार पर देखें तो*
धर्म मजहब से परी यह रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का बंधन है। इसका उदाहरण ऐतिहासिक धारिता के आधार पर कुछ इस तरह मिलता है कि चित्तौड़ पर गुजरात के शासक बहादुरशाह ने आक्रमण किया, और आत्मरक्षा के लिए रानी कर्णावती ने बादशाह हुमायूं को भाई मानकर राखी भेजी और भाई से बहन की रक्षा करने का आग्रह किया।
बादशाह हुमायूं ने बहन रानी कर्णावती को रक्षा करने का वादा किया और सेना भेजकर बहन की रक्षा पहुंचाई।

लेखक मिन्नत गोरखपुरी साहित्यकार एवं लेखक एवं राष्ट्रीय शायर एवं संचालक और राष्ट्रीय प्रवक्ता राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ-भारत

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