सर्वदलीय बैठक में राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम एआईएसएफ ने भेजा खुला पत्र*
1 min read*सर्वदलीय बैठक में राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम एआईएसएफ ने भेजा खुला पत्र*
*लॉक डाउन की जगह कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बच्चों के स्कूल छोड़ सभी आवश्यक चीजें खोलने की माँग*
*सरकार विफल रही और कोरोना से एक वर्ष से अधिक समय में नहीं लिया कोई सबक*
*स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीय करण कर सभी बड़े अस्पतालों के अधिग्रहण की माँग*
पटना,17अप्रैल,2021- ऑल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ने सर्वदलीय बैठक में बिहार के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि जो राजनीतिक दल बैठक में शामिल होंगे वे राज्य के लोगों की भावनाओं से अवगत कराएंगे। बिहार के छात्रों की भावनाओं से अवगत कराने के उद्देश्य से यह पत्र भेजा जा रहा है।
एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव सुशील कुमार एवं राज्य सचिव रंजीत पंडित ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को ईमेल द्वारा प्रेषित पत्र में कहा है कि कोरोना की भयावह एवं डरावनी तस्वीरें बेहद चिन्ताजनक है। इस दौर में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक नितांत आवश्यक है। यह देश के लोकतांत्रिक स्वरूप को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अफसोस जनक एवं आश्चर्यजनक है कि सरकार ने एक साल से अधिक समय से जारी इस महामारी के दौरान कोई सबक नहीं लिया। सरकार ने न तो कोरोना से लड़ाई को लेकरआधुनिक सुविधाओं युक्त अस्पताल विकसित कर पाई और नहीं भविष्य में तात्कालिक कोई दूरदर्शी योजना है। यह बेहद आश्चर्यजनक है कि कोरोना काल में शैक्षणिक संस्थानों को बंद किया गया है। जबकि बिहार के बाद अन्य पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में रैली-नेताजी के भाषण-रोड शो जारी हैं। कुछ राज्यों के अंदर पंचायत चुनाव जारी हैं।बिहार भी खुद पंचायत चुनाव की दहलीज पर खड़ा है। कुंभ के आयोजन हो रहे हैं। सिनेमा हॉल एवं बसें कुछ प्रतिबंध के साथ चलाए जा रहे हैं तो फिर शैक्षणिक संस्थानों को क्यों बंद किया गया है। शैक्षणिक संस्थानों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर खोलने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे एआईएसएफ राज्य उपाध्यक्ष रजनीकांत कुमार के अतिरिक्त दो शिक्षकों को गिरफ्तार कर खगड़िया जिला प्रशासन ने 15 अप्रैल को पहले लापता कर दिया और पुनः 16 को नौगछिया जेल भेज दिया।
एआईएसएफ नेताओं ने सवाल उठाया कि शैक्षणिक संस्थान बंद हैं लेकिन परीक्षाएं जारी हैं। सीबीएसई ने 10 वीं की परीक्षा रद्द कर आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर विद्यार्थियों को परीक्षाफल जारी करने का निर्णय लिया। लेकिन अभी भी विद्यार्थियों के सामने 12वीं की परीक्षा का खतरा मंडरा रहा है। बिहार बोर्ड ने तो 10वीं और 12वीं के परीक्षा लेने के बाद परीक्षाफल भी जारी कर दिए। खासकर उस वक़्त बिहार बोर्ड ने इंटर नामांकन लिए जब कोई विद्यार्थी साइकिल-मोटरसाइकिल या निजी वाहनों को आरक्षित कर नामांकन लेने बमुश्किल पहुँच पाए। घोषणा के बावजूद कोरोना अवधि के शुल्क माफी नहीं की गई। सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूल-कॉलेज-कोचिंग कुछ दिन के लिए खुले। छात्रों से कुछ संस्थानों ने पैसे वसूले और पुनः जबरन बंद कर दिया गया। जबकि कमजोर गैर सरकारी संचालकों को सरकार को अपने स्तर से आर्थिक मदद करना चाहिए था।
छात्र नेताओं ने खुले पत्र में कहा कि अभी भी पर्याप्त संख्या में ट्रेनें नहीं चल रही है। सरकार इसी की आड़ में रेलवे को बेचने का काम पूरा करना चाहती है। गंतव्य स्थानों तक मनमाना किराया वसूल बसें हीं पहुंचने का जरिया मात्र है। माननीय प्रधानमंत्री के अनुरोध पर ताली-थाली बजे और देशवासियों ने दीया भी जलाया।
डॉक्टरों-नर्सों समेत स्वास्थ्य कर्मियों के सुरक्षात्मक उपाय बढ़ाने के बजाय कुछ जगह फूल जरूर बरसाए गए। अभी भी 8 बजे रात और प्रधानमंत्री नाम सुनने पर लोगों के अंदर मजबूत खौफ बैठा हुआ है। वहीं इस महामारी के बीच एआईएसएफ एवं एआईवाईएफ ने पटना में सरकारी सहयोग से बने जयप्रभा-मेदांता समेत सभी शहरों के बड़े निजी अस्पतालों को अधिग्रहित करने की माँग की। मेदांता अस्पताल तो खुल गया लेकिन सरकार न तो उसको कोरोना को समर्पित करा पाई और न हीं उसके समेत बड़े अस्पताल को अधिग्रहित कर पाई।
दो पन्ने के पत्र में कहा गया है कि *महोदय लॉकडाउन के भयानक मंजर अभी भी देश वासियों के मन में गहरे रूप में बैठा हुआ है। फिर चर्चा में आ रहा पुनः लॉकडाउन कभी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।*
*जरूरी सुझाव देकर की कई माँग*
1. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते मेडिकल, शैक्षणिक संस्थान,खाद्य सामग्री,यातायात समेत आवश्यक सेवाओं को खोला जाए। प्राथमिक विद्यालयों को अभी तत्काल स्थिति का आकलन कर बंद रखा जाए। यह बिल्कुल अतार्किक है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थी आने पर बन्दिश बरकरार है लेकिन शिक्षक एवं कर्मी को आना अनिवार्य किया गया है।जिसपर भी रोक लगे।
2. स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण किया जाए। जनसंख्या के अनुपात में अस्पतालों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाए। महामारी के दौर में जयप्रभा-मेदांता अस्पताल समेत सभी शहरों के कुछ बड़े अस्पतालों को चिन्हित कर सरकार पूरी तरह से अपने अंदर ले और जनता को समर्पित करे।
3. हर शहर के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों,ट्रेनों के खाली बोगियों विवाह भवन, धर्मशालाओं एवं अन्य संस्थानों को सरकार अपने अंदर ले उसे कोरोना आइसोलेशन/उपचार केंद्र के रूप में विकसित करे। अभी सिख समुदाय के द्वारा दिल्ली में पूर्णतः निःशुल्क वेंटिलेटर सुविधा युक्त अस्पताल एवं बड़ोदरा में स्वामी नारायण मंदिर द्वारा निःशुल्क कोविड अस्पताल बनवा कर नजीर पेश की गई है।
4. कोरोना अवधि के कम से कम 1साल तक का शैक्षणिक संस्थानों का शुल्क,रूम रेन्ट एवं हॉस्टल फी सरकार माफ करवाए। कमजोर गैर सरकारी संस्थानों के संचालकों, मकान मालिकों एवं हॉस्टल संचालकों को सरकार आर्थिक सहायता दे।
5. कोरोना अवधि में सभी को निर्बाध ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने के लिए सभी छात्र-छात्राओं को इंटरनेट सुविधा युक्त निःशुल्क लैपटॉप-टैबलेट या मोबाइल मुहैया कराई जाए।
6. खगड़िया जिला प्रशासन द्वारा शांतिपूर्ण आंदोलन से गिरफ्तार एआईएसएफ राज्य उपाध्यक्ष रजनीकांत समेत तीन लोगों को बिना शर्त एवं ससम्मान रिहा किया जाए।
7. पीएम केयर फण्ड का हिसाब सार्वजनिक किया जाए।उन पैसों से कोरोना आपदा आवश्यक उपकरण मुहैया कराई जाए