कोरोना संक्रमण के उपचार में स्टेरॉयड दिए मरीज नमीयुक्त और धुल भरे जगहों से करें परहेज रिपोर्ट नसीम रब्बानी
1 min readकोरोना संक्रमण के उपचार में स्टेरॉयड दिए मरीज नमीयुक्त और धुल भरे जगहों से करें परहेज
रिपोर्ट नसीम रब्बानी
•कोरोना संक्रमण के उपचार में स्टेरॉयड दिए लोगों को अधिक है म्यूकरमाइकोसिस का खतरा
•लक्षण दिखें तो चिकित्सकीय परामर्श लें, स्वयं से नहीं करें इलाज की कोशिश
वैशाली/ 26 मई- कोरोना संक्रमण से इलाज के दौरान कई गंभीर मरीजों को स्टेरॉयड देने की जरुरत पड़ती है. चिकित्सकों के अनुसार संक्रमण के प्रभाव को कम करने और गंभीर मरीज को पूरी तरह स्वस्थ करने के लिए स्टेरॉयड दी जाती है. कोविड संक्रमण से उबर चुके रोगियों को ब्लैक फंगस से सावधान रहने की बहुत अधिक जरूरत है. ब्लैक फंगस के भी कई मामले सामने भी आ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लैक फंगस के विभिन्न लक्षणों के दिखने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श और उपचार कराने की सलाह दी गयी है. नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर इम्प्लीमेंटएशन रिसर्च ऑन नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज, जोधपुर के निदेशक डॉ. अरुण शर्मा के मुताबिक कोरोना संक्रमण के उपचार के दौरान दिए गए स्टेरॉयड से लोगों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा अधिक होता है.
ब्लैक फंगस के मरीज नमीयुक्त और धुल भरे जगहों से करें परहेज:
डॉ. शर्मा के अनुसार शरीर में स्टेरॉयड का प्रभाव समाप्त होने में करीब चार हफ्ते का समय लगता है और इन चार हफ़्तों के काल में नमीयुक्त और धुल भरे जगहों पर जाने से ब्लैक फंगस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. अगर ऐसी जगहों पर जाना बहुत जरुरी हो तो थ्री प्लाई मास्क का उपयोग, ग्लव्स और हाथ पैर पूरी तरह से ढंके होने चाहिए. मुंह, गला और नाक में काले धब्बे नजर आएं तो अविलंब चिकित्सकों से संपर्क करें और स्वयं कोई भी घरेलु उपचार करने से बचें. इन जगहों पर काले धब्बों का दिखाई पड़ना म्यूकरमाइकोसिस के संक्रमण को दर्शाता है.
मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता से ब्लैक फंगस से सुरक्षा संभव:
डॉ. शर्मा के अनुसार ब्लैक फंगस, कोविड या कोई भी रोग वैसे व्यक्तियों को पहले जकड़ता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. ऐसा कई कारणों से हो सकता है. मसलन किसी बीमारी से लम्बे समय तक ग्रसित रहना, असंतुलित खानपान और असंयमित दिनचर्या. नियमित व्यायाम, पोषण युक्त भोजन और अनुशासित जीवनशैली से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया जा सकता है.
संक्रामक रोग नहीं है म्यूकरमाइकोसिस:
म्यूकरमाइकोसिस की पहचान इसके रंग से नहीं बल्कि इसके नाम से की जानी चाहिए. म्यूकरमाइकोसिस रोग से संबंधित एक अफवाह यह भी है कि यह एक छुआछूत या संक्रामक रोग है जो पूरी तौर पर गलत है. इसके बारे में बताया गया है कि ऑक्सीजन थेरेपी और इंफेक्शन से इसका कोई सीधा संबंध नहीं है. 90 से 95 प्रतिशत म्यूकरमाइकोसिस रोगी डायबिटीक होते हैं या इम्युनिटी को दबाने की दवाएं जैसे स्टायरेड ले रहे होते हैं. उन्हें इसके प्रति सावधान रहने की बहुत अधिक जरूरत होती है.