July 27, 2021

NR INDIA NEWS

News for all

फाइलेरिया मरीजों को दिया गया घरलू रोग प्रबंधन का प्रशिक्षण/रिपोर्ट रंजीत कुमार

1 min read

फाइलेरिया मरीजों को दिया गया घरलू रोग प्रबंधन का प्रशिक्षण/रिपोर्ट रंजीत कुमार

– प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, तरियानी में 50 से अधिक मरीजों को प्रशिक्षण के दौरान किट भी प्रदान किया गया

शिवहर, 26 जुलाई।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, तरियानी में हाथी पांव यानी फाइलेरिया की बीमारी से ग्रसित मरीजों को घरेलू रोग प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। स्वास्थ्य केंद्र में फाइलेरिया के लगभग 50 मरीजों को प्रशिक्षण के उपरांत किट भी प्रदान किया गया। प्रशिक्षण दे रहे भीबीडीएस बृजकिशोर गुप्ता ने बताया कि सुबह व शाम फाइलेरिया प्रभावित मरीजों को शरीर के अंगों को सामान्य  पानी से साबुन लगाकर नियमित साफ-सफाई करनी चाहिए। साथ ही साथ चिकित्सक द्वारा बताए गए व्यायाम विधि को अपनाने से सूजन नहीं बढ़ता। लगातार व्यायाम करने से सामान्य जीवन व्यतीत करने में सहायता मिलती है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजय कुमार ने फाइलेरिया रोगियों को किट में एक एंटीफंगल क्रीम, एक क्रेप बैंडेज, एक मेडिकेटेड साबुन, एक सफेद टावेल व एक-एक बाल्टी-मग दिया। डॉ संजय कुमार ने बताया कि तालाब व पानी जमा होने वाले स्थानों में पनपने वाले मच्छरों के कारण फाइलेरिया रोग फैलता है। इसलिए एक जगह पानी अधिक दिनों तक जमा नहीं होने दें। इस मौके पर केयर के बीएम दीपू श्रीवास्तव, एएनएम नूतन उपस्थित रहीं।

फाइलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है-
फाइलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर गंदगी वालों जगहों में सबसे अधिक पाया जाता है। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। लेकिन, ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इसलिए इसकी रोकथाम बहुत ही आवश्यक है।

फाइलेरिया के लक्षण-
आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आसपास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देता है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल में सूजन भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देता है। बल्कि, इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

फाइलेरिया से बचने के लिए करें ये उपाय
फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आसपास व अंदर साफ-सफाई रखें। पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें। सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगा लें। सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें। पीने के पानी को ढंक कर रखे। हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.