जन्दाहा में दो साल बाद ईदगाह में हर्षोल्लास के साथ ईद की नमाज अदा की गई
जन्दाहा में दो साल बाद ईदगाह में हर्षोल्लास के साथ ईद की नमाज अदा की गई
मिल्लत को तोड़कर अंसारी मुहल्ले के लोगों ने मस्जिद में पढ़ी ईद की नमाज
कोरोना काल के बाद पहली बार खुले आसमान के नीचे ईदगाह में जन्दाहा के मुसलमानों ने हर्षोल्लास के साथ ईद की नमाज अदा की।दो साल बाद ईदगाह का नज़ारा गुलज़ार दिखा।अल्लाहो अकबर, अल्लाहो अकबर ला इलाह इल लल्लाह वल्लाहो अकबर व लिल्लाहिल हम्द की सदा से चप्पा चप्पा गूंज उठा।बच्चे,बूढ़े,जवान सबने कहा ईद मुबारक।जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अख्तरूल इस्लाम अशाअती ने ईद की नमाज पढ़ाई।वहीं नमाज के बाद चली आ रही परंपरा के अनुसार सभी मुसलमान एक दूसरे को गले लगा कर ईद की मुबारकबाद पेश की और एक एक घर पर लोग टोली बना कर सेवई खाने पहुंचे।पहली बार यहां अंसारी मुहल्ले के मुसलमानों ने ईद की नमाज अपने मुहल्ले की मस्जिद में अदा की।जानकारों के मुताबिक यह सदियों से चली आ रही एकता को तोड़ने वाला मामला है।हालांकि जन्दाहा बाजार स्थित ईदगाह इलाके के विभिन्न गांव के मुसलमानों का अकेला ईदगाह है जहां मुसलमान सबसे ज़्यादा तादाद में ईद की नमाज अदा करते हैं।जन्दाहा के मुसलमानों के लिए बहुत ही फख्र की बात है कि पूरे भारत में ऐसी ईद कहीं भी मनाने की परंपरा नहीं है।अब तक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि मिलल्त को तोड़कर एक मुहल्ला ईदगाह के बदले मस्जिद में ईद की नमाज अदा किया।जानकार की माने तो यह जन्दाहा वैशाली जिला ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने में मनाई जाने वाली ईद से अलग तरीके से ईद मनाती रही है जो अपने आप में एक मिसाल है और काबिले फख्र भी है।