March 7, 2021

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सम्मान सह लोकार्पण समारोह का आयोजन

सम्मान सह लोकार्पण समारोह का आयोजन


राष्ट्रीय समाचार पत्रिका मानवाधिकार टुडे के तत्वाधान में भगवान महावीर जन्मस्थली मंदिर, बासोकुण्ड, वैशाली
में सम्मान सह लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। समारोह का उद्घाटन पद्मश्री राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची, सरदार महेंद्र पाल सिंह ‘ढिल्लन’ श्री राजेश कुमार जैन , फ़िल्म निर्देशिका श्री साधना सिंह, डॉ ओम प्रकाश चौरसिया , शिक्षाविद् श्री वी. के. अनामिका , मानव अधिकार कार्यकर्ता डॉ. आनंद मोहन झा और अध्यक्ष डॉ. शशि भूषण कुमार ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया। समारोह में डॉ. शशि भूषण कुमार और अमित कुमार ‘विश्वास’ द्वारा संपादित पुस्तक सशक्त नारी, सशक्त भारत , जितेंद्र प्रसाद चौधरी द्वारा लिखित हनुमान चालीसा और मानवाधिकार टुडे का वार्षिक कैलेंडर का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया । समारोह को संबोधित करते हुए पद्मश्री राजकुमारी देवी ने कहा कि हमे स्वयं को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए और विकासवादी दृष्टिकोण के साथ निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। सरदार महेंद्र पाल सिंह ढिल्लन ने अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुए महिला अधिकारों के संरक्षण पर बल दिया। डॉ. ओमप्रकाश चौरसिया ने कहा कि महिलाएं समाज की रचनात्मक शक्ति है। हमें हमेशा इनका सम्मान करना चाहिए। डॉ. जितेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में महिलाओं के उत्थान हेतु विकासवादी दृष्टिकोण के विकास पर बल दिया। उन्होंने अपने संबोधन में महिला को सृष्टिकर्ता बताया। शिक्षाविद् श्री वी. के. विक्की ने अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि महिलाओं के आगे बढ़ने से ही समाज और राष्ट्र आगे बढ़ता है। उन्होंने स्त्री शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे सभी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। मानवाधिकार टुडे आयोजित परिचर्चा ‘हिंसा एवं स्त्री मानवाधिकार’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए समारोह की वक्ता डॉ. सुमेधा पाठक ने कहा कि इस पुरुष प्रधान समाज मे महिलाओं को केवल एक वस्तु माना गया है। उन्होंने सिमोन द बोउआर द्वारा लिखित पुस्तक द सेकेंड सेक्स का उद्धरण देते हुए कहा कि महिलाओं को कभी भी मुख्य भूमिका में नहीं रखा गया। उसे हमेशा ही पुरुषों से कम आंका गया और पुरुषों की तुलना में निम्न दर्जा दिया गया । श्रीमती अनिता प्रसाद ने स्त्रियों के मानवाधिकारों के संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि स्त्री इस सृष्टि की जननी है। उनके उत्थान के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।
अपर्णा शिवा ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों में स्त्री को देवी ,जगतजननी की संज्ञा दी गई है। लेकिन स्त्री देवी बनना नहीं चाहती है । वो तो सिर्फ मानव बनना चाहती है ताकि वह एसिड अटैक, अपमानजनक व्यवहार जैसे स्त्री अपराधों का शिकार नहीं बन सके। डॉ. मंजुला ने अपने वक्तव्य में कहा कि समाज को यह समझना होगा कि स्त्री के बिना इस संसार का अस्तित्व संभव नहीं है। हर दौर में नारी ने सर्जक होने का प्रमाण दिया है।नारी ने नर को जन्म दिया है और नारायण को भी।इसलिए उसे पुरूष बनने की जरुरत नहीं है। जरूरत इस बात की है कि नारी अपने अधिकारों को जाने और उसे पाने की कोशिश करे। इसके लिए उन्हे राजनीतिक भागीदारी मिलनी चाहिए।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. शशि भूषण कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति में स्त्री को देवी का पद प्राप्त है।
यत्र पूज्यन्ते नारी , रमन्ते तत्र देवता। ‘ अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है।
उन्होंने नारियों के अधिकारों के संरक्षण की वकालत की। समारोह में मंच संचालन व संयोजक की भूमिका अमित कुमार ‘विश्वास’ ने किया और धन्यवाद ज्ञापन शिवबालक राय ‘ प्रभाकर ने दिया।

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