यातायात यातायात यातायात हमेशा सुर्खियों में रहते है।
1 min readयातायात यातायात यातायात हमेशा सुर्खियों में रहते है।
कांटी फैक्ट्री अधिकारी सतेंदर कुमार सिंह और उनके पीटीसी सिपाही जसपाल सिंह दोनों मिलकर केबिन में बैठ कर करते है अवैध बसूली। एबं करते है अपनी मनमानी।
सनोवर खान ब्यूरो रिपोर्ट के साथ राजा कुमार पुट्टू की रिपोर्ट
पटना सिटी: कांटी फैक्ट्री अधिकारी सतेंदर कुमार सिंह और उनके पीटीसी सिपाही जसपाल सिंह दोनों मिलकर केबिन में बैठ कर करते रहते है आराम और सिपाही लोग इतने धूप में गाड़ी पकड़ते है। और दोनों ही दबंग है वाहन मालिक यात्री से बोलने का उन दोनों को तमीज नही है बर्दी का रौब दिखाते है।सबसे बड़ी बात यह है कि सतेंदर कुमार सिंह कांटी फैक्ट्री अधिकारी और उनके पीटीसी सिपाही जसपाल सिंह दोनों मिलकर केबिन में बैठे रहते है और सिपाही लोगो को इतने धूप में गाड़ी पकड़ने के लिए बोलते है। क्यों कि पुलिस प्रशासन के द्वारा सब इस्पेक्टर रैंक को ही चालान काटने का आर्डर दिया गया है इस लिए दिखाते है रौब केबिन में बैठ कर काटते है चालान जबकि पूर्ब के आला अधिकारी ने कहा था कि जो कुछ भी होगा कैमरा के सामने होगा यहाँ तो ठीक उसका उल्टा दिखने को मिल रहा है। जी हाँ इन दिनों यातायात को सुधार करने के लिए यातायात एस पी ने अलग- अलग जगहों पर नए -नए अधिकारीयो की पोस्टिंग की थी लेकिन ऐसा देखने को नही मिल रहा है ठीक उसका उल्टा दिखने को मिल रहा है। जी हां यह मामला पटना के कांटी फैक्ट्री की कहानी यात्री की जवानी। मामला यह है कि कांटी फैक्ट्री यातायात पोस्ट के अधिकारी सब इंस्पेक्टर (SI) अपना रॉब दिखाते हुए सबको चालान काटते है। और अपने केबिन में बैठ कर सिपाही लोगो को बोलते है गाड़ी पकड़ने के लिए। ये सब मामला जब प्रकाश में आया तो पत्रकारों की टीम ने बिना परिचय दिए आम आदमी बन कर सारा कहानी को अपने आंखों से देखा कि सतेंदर कुमार सिंह और उनके पीटीसी सिपाही जसपाल सिंह दोनों मिलकर केबिन में बैठ कर चालान कि बात हो रही थी एबं कर रहे थे 5000/= हजार रूपीए के चालान को सतेंदर कुमार सिंह अधिकारी और उनके पीटीसी सिपाही जसपाल सिंह दोनों मिलकर केबिन में बैठ केबिन के अन्दर पांच सौ रूपीए में बात बनी जब ये सब मामला पत्रकारों ने देखा देखने के बाद पत्रकार ने सारी बातों को पूछा तो दो सतेंदर कुमार सिंह अधिकारी और उनके पीटीसी सिपाही जसपाल सिंह दोनों मिलकर केबिन से उठ कर बिना जवाब दिए चले गए। केबिन को खाली छोड़ कर सिपाही भरोसे।