November 22, 2023

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बगैर इलाज कराए अस्पतालों से बैरंग लौटे मरीज , मानवता को देखते हुए इमरजेंसी सेवा को रखा बहाल

बगैर इलाज कराए अस्पतालों से बैरंग लौटे मरीज
, मानवता को देखते हुए इमरजेंसी सेवा को रखा बहाल
रिपोर्ट । रेणु सिंह,महुआ वैशाली 

पूर्णिया में एक डॉक्टर पर की गई हमले के विरोध में डॉक्टरों ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार को ओपीडी का बहिष्कार किया। जिसको लेकर मरीज को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे रोगियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा।
यहां प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मनोरंजन कुमार सिंह ने बताया कि पूर्णिया में डॉक्टर पर किए गए हमले से क्षुब्ध आईएमए के आह्वान पर डॉक्टरों ने यहां अनुमंडल अस्पताल और पीएचसी में ओपीडी सेवा को बहिष्कार किया। हालांकि सुबह में ओपीडी सेवा यहां शुरू की गई थी। इस दौरान कुछ मरीजों का इलाज भी हुआ। पर जैसे ही ओपीडी बहिष्कार की सूचना आई। यहां डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया। डॉ महेश चौधरी, डॉ केसी विद्यार्थी, डॉ वी डी सिंह, डॉ एससी जयसवाल, डॉ नवीन कुमार, डॉ अरुण कुमार, डॉ मो शमीम अंसारी, डॉ चंचल सुमन, डॉ ओमप्रकाश, डॉ ओम प्रकाश, डा सीबी सिंह सिंह, डा उदय शंकर कुमार आदि ने ओपीडी सेवा को बंद किया। डॉक्टर ने सरकार से सुरक्षा की मांग की। हालांकि डॉक्टरों ने मानवता को देखते हुए इमरजेंसी सेवा को बहाल रखा। निजी अस्पतालों में भी डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा को बंद रखा।

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चमकी से मासूम की मौत पर पीड़ित के घर पहुंची मेडिकल टीम महुआ। रेणु सिंह चमकी बुखार से एक मासूम की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई और मेडिकल टीम शुक्रवार को पीड़ित के घर पहुंच कर स्थिति का जायाजा लिया। टीम द्वारा पीड़ित परिजन से बच्चे के बारे में विभिन्न जानकारियां हासिल कर उसे विभाग को भेजा। घटना महुआ नगर परिषद के वार्ड संख्या 06 छतवारा चकशेख निजाम की है। उक्त गांव निवासी योगेन्द्र राम की पोती और मनीष राम की पुत्री डेढ़ वर्षीया लक्ष्मी कुमारी को बीते 25 अप्रैल को चमकी की लक्षण आई थी। इस बीच घर के लोग उसे इलाज के लिए महुआ के एक निजी बच्चा अस्पताल में ले गए जहां से उसकी स्थिति नाजुक देखते हुए हाजीपुर सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया था। बच्ची को परिजन उसी दिन सदर अस्पताल ले गए। जहां से शाम में उसे चमकी के लक्षण को देखते हुए सदर अस्पताल द्वारा नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पटना रेफर किया गया था। बताया जा रहा है कि अस्पताल में 12 घंटे इलाज के बाद 26 अप्रैल की भोर में बच्ची ने दम तोड़ दिया। इधर नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा बच्ची की मौत चमकी से होना बताए जाने के एक सप्ताह बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली और मेडिकल टीम में शामिल महुआ पीएचसी के डॉ अमर कुमार, स्वास्थ्य प्रबंधक प्रकाश कुमार, बीसीएम आफताब आलम के साथ महुआ नप के सभापति नवीन चंद्र भारती, वसीम आलम, आशा कर्मी शर्मिला आदि पीड़ित के घर पहुंचकर परिजनों से विभिन्न जानकारियां हासिल की। चमकी से मौत का महुआ क्षेत्र में यह पहला केस माना जा रहा है। मनीष की पहली बच्ची थी लक्ष्मी: मृतिका डेढ वर्षीया लक्ष्मी कुमारी अपने पिता मनीष राम की पहली संतान थी। मनीष राम फेरी में ब्रेड, चाकलेट आदि बेचकर घर परिवार चलाते हैं। वही दादा योगेंद्र राम मजदूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि बच्ची को बुखार के साथ चमकी के लक्षण आई थी। जिसे वह हल्के में लिए और इलाज के लिए महुआ के एक बच्चा अस्पताल में ले गए। जहां से उसे स्थिति गंभीर बताते हुए रेफर कर दिया गया था। यह भी बताया जा रहा है कि बच्ची को विभिन्न टीका के साथ जेई का टीका भी बीते 22 मार्च कोई लगाया गया था। टीम ने माना बच्ची कुपोषित और कमजोर थी: मेडिकल टीम द्वारा बताया गया कि बच्ची कुपोषित और कमजोर थी। जिसे अनुमंडल अस्पताल में चल रहे एनआरसी में रखा गया था। उन्होंने यह भी बताया कि बच्ची की मौत का कारण एनएमसीएच द्वारा चमकी के लक्षण बताए गए हैं। इधर चमकी से बच्ची की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन सजग होते हुए उक्त बस्ती में ओआरएस का वितरण कराकर बीमारी के लक्षण और बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया।

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