July 1, 2025

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आखिर क्यों इतने कम मानदेय में बिहार समाज कल्याण विभाग के द्वारा महिला संविदा कर्मी की भारी मात्रा में स्थानांतरण।

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आखिर क्यों इतने कम मानदेय में बिहार समाज कल्याण विभाग के द्वारा महिला संविदा कर्मी की भारी मात्रा में स्थानांतरण।

पटना संवाददाता नसीम रब्बानी/रोहित कुमार

 

पटना:बिहार में बहार है,सुशासन बाबू की सरकार है और संविदा कर्मी तेरा शोषण करने का भी अधिकार है।”संविदा कर्मी के तबादले ने यह साबित कर दिया कि “काम करो भी और मरो भी”। संविदा कर्मी का स्थानांतरण किस आधार पर और क्यों वो भी इतने कम मानदेय में। एक ओर तो सुशासन बाबू की आखिर क्यों इतने कम मानदेय में बिहार समाज कल्याण विभाग के द्वारा महिला संविदा कर्मी की भारी मात्रा में स्थानांतरण।

पटना संवाददाता नसीम रब्बानी/रोहित कुमार

पटना:बिहार में बहार है,सुशासन बाबू की सरकार है और संविदा कर्मी तेरा शोषण करने का भी अधिकार है।”संविदा कर्मी के तबादले ने यह साबित कर दिया कि “काम करो भी और मरो भी”। संविदा कर्मी का स्थानांतरण किस आधार पर और क्यों वो भी इतने कम मानदेय में। एक ओर तो सुशासन बाबू की सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं उनके साथ न्याय करने की बात किया जाता है तो बोला जाता है कि बिहार में महिला को गृह जिला दिया जाएगा ताकि उसे काम करने में परेशानी ना हो। तथा दूसरी ओर संविदा कर्मी का कम मानदेय रहने तथा किसी तरह से अपना तथा बच्चों की पढ़ाई लिखाई, खाना पीना, साथ ही बूढ़े माता-पिता की देख-रेख की संपूर्ण जवाब देही के साथ-साथ अपना कार्य भी इमानदारी पूर्वक निभाना। इसके बावजूद भी सुशासन बाबू को संविदा कर्मी फूटी आंख नहीं सोहाते है कम मानदेय रहने तथा उनका तबादला होने के कारण खासकर महिला संविदा कर्मी काफी मानसिक रूप से परेशान दिख रही हैं कि अब उनके परिवार का क्या होगा ? कैसे उनके स्कूल जाएंगे, उनको खाना बनाकर कौन देगा तथा कौन उनके बूढ़े माता-पिता की देखरेख करेगा । महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं उनके साथ न्याय करने की बात किया जाता है तो बोला जाता है कि बिहार में महिला को गृह जिला दिया जाएगा ताकि उसे काम करने में परेशानी ना हो। तथा दूसरी ओर संविदा कर्मी का कम मानदेय रहने तथा किसी तरह से अपना तथा बच्चों की पढ़ाई लिखाई, खाना पीना, साथ ही बूढ़े माता-पिता की देख-रेख की संपूर्ण जवाब देही के साथ-साथ अपना कार्य भी इमानदारी पूर्वक निभाना। इसके बावजूद भी सुशासन बाबू को संविदा कर्मी फूटी आंख नहीं सोहाते है कम मानदेय रहने तथा उनका तबादला होने के कारण खासकर महिला संविदा कर्मी काफी मानसिक रूप से परेशान दिख रही हैं कि अब उनके परिवार का क्या होगा ? कैसे उनके स्कूल जाएंगे, उनको खाना बनाकर कौन देगा तथा कौन उनके बूढ़े माता-पिता की देखरेख करेगा ।

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