बेटे का भरा दिल तो मां की आखों में छलके खुशी के आंसू
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बेटे का भरा दिल तो मां की आखों में छलके खुशी के आंसू
– गोरौल के फतेहपुर गांव का रहने वाला है मयंक
– बाल हृदय योजना से मिला दूसरा जीवन
वैशाली, 17 अप्रैल ।
मां.. मैं क्यों जल्दी थक जाता हूं….मैं भी दिन भर खेलना चाहता हूं। मासूम मयंक का यह सवाल मनीषा को बार-बार परेशान कर रहा था। वह करती भी तो क्या। दिन भर खेत में काम करने के बाद उसका पति धीरेन्द्र सिर्फ अपने परिवार का पेट ही भर पा रहा था। उसे वह दिखाता भी तो कहां। मयंक गोरौल प्रखंड के फतेहपुर गांव का रहने वाला था। उसकी मां ने उसका नाम आंगनबाड़ी केंद्र पर लिखा दिया था। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व आरबीएसके के डॉ सारंगधर मिश्रा उस आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों की जांच कर रहे थे। तभी मयंक राज के दिल में छिद्र होने के बारे में पता लगा। मयंक के पिता धीरेन्द्र को जब इस बात का पता लगा तो उन्हें गहरा धक्का लगा, पर डॉ मिश्रा के आश्वासन ने उन्हें आश्वस्त कर दिया।
आरबीएसके का मिला साथ
मयंक की मां ने मनीषा ने बताया मयंक एक भाई दो बहन है हैं। जिस दिन से आरबीएसके की टीम ने इसकी बीमारी का पता लगाया। उस दिन से ही लगातार फॉलोअप किया है। पटना के आईजीआईसी से लेकर आईजीआईएम भी भेजा गया। वहां उन्होंने कहा कि इसकी स्थिति जिस तरह की है उसका इलाज यहां नहीं हो सकता। एक बार हम अपने प्रयास से रायपुर के एक स्वयंसेवी अस्पताल में लेकर भी गए, पर उन्होंने कहा कि आपका नंबर 2023 में आएगा। यह बात सुन कर कलेजा मुंह में आ गया । धन्य हो आरबीएसके और बाल हृदय योजना का जिसके तहत मेरे बेटे का इलाज हुआ। मैं इसके साथ गयी थी। पटना से लेकर अहमदाबाद तक कोई दिक्कत नहीं हुई थी। शनिवार को पटना एयरपोर्ट से एम्बुलेंस से ही घर भी भेजा गया।
सात निश्चय योजना के तहत बाल हृदय योजना से हुआ उपचार
वैशाली के जिला राष्ट्रीय बाल सुरक्षा के समन्वयक डॉ अशोक कुमार ने बताया मयंक राज के पिता धीरेन्द्र कुमार को मुख्यमंत्री की आकांक्षी योजना सात निश्चय 2 की महत्वकांक्षी योजना बाल हृदय योजना की जानकारी दी गई। उनको भरोसा दिलाया गया कि उनकी बेटी का ऑपरेशन इसी स्कीम के तहत हुआ और उनका एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ। इलाज के बाद भी हमारी टीम बराबर मयंक राज के स्वास्थ्य पर नजर रखेगी । वहीं उनके पिता से भी बराबर संपर्क में हैं। मयंक राज की चिकित्सा में गोरौल आरबीएसके के डॉ सारंगधर मिश्रा की भूमिका अहम रही।